Bihar Lightning Deaths: बिहार में हर साल आकाशीय बिजली यहां के लोगों के लिए कहर बन कर टूटती हैं. हर साल यहां वज्रपात से सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है.  इस साल अब तक 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, पिछले 24 छंटे में राज्य के कई जिलों में बिजली गिरने से 25 लोगों की मौत हो गई है, जबिक 39 लोग घायल हो गए हैं.


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सीएम ने जताया दुख 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार  को वज्रपात की घटना में जान गंवाने वाले लोगों लिए को शोक व्यक्त किया और अफसरों को मृतकों के परिवार को 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का निर्देश दिया. साथ ही सीएम ने लोगों से बारिश और तूफान के दौरान घर के अंदर रहने का भी आग्रह किया.


सात सालों में इतने लोगों ने गंवाई जान
बताया जाता है कि वज्रपात की ज्यादातर घटनाएं ग्रामीण इलाकों में होती हैं. जिनमें से खेत मे काम करने के दौरान वज्रपात की चपेट में आने से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती हैं. अगर पिछले सात सालों की बात करें तो बिहार में वज्रपात की घटनाओं में 1800 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है.    


2020 में सबसे ज्यादा मौतें
2018 के बाद से आंकड़ों पर बात करें साल 2020 में सबसे ज्यादा 459 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद 2016 में 114 लोगों की मौत वज्रपात की चपेट में आने से हो गई थी. वहीं,  2017 में 180, 2018 में 139, 2019 में 253 और 2021 में 280 लोगों की जान आकाशीय बिजली की चपेट में आने के कारण हुई थी.  इसके बाद 2022 में 400 और 2023 में 242 लोगों की मौत वज्रपात के कारण हुई है.


इन जिलों में सबसे ज्यादा वज्रपात की घटनाएँ 
जिलेवार आंकड़ों को के मुताबिक, राज्य के 11 जिलों में वज्रपात का कहर सबसे ज्यादा बरपता रहा है. इन जिलों में पूर्वी चंपारण, जमुई, गया, औरंगाबाद, बांका, नवादा,  छपरा, रोहतास, भागलपुर, बक्सर और कटिहार जिले हैं. पिछले सात सालों में गया में 142 लोगों की मौत आकाशीय बिजली की चपेट में आन से हुई  थी तो वहीं औरंगाबाद में 110 लोगों ने जान गंवाई थीं.


मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि मई से लेकर सितंबर का महीना वज्रपात गिरने का मुख्य वक्त है. इसलिए इस महीन में ज्यादा अलर्ट रहने की जरुरत होती है. बता दें, बिहार सरकार वज्रपात की घटना में जान गंवाने वाले हर एक आदमी को 4 लाख रूपये अनुग्रह राशि देती है.