Bija Mandal Case: कानून का पालन करने पर जिला अधिकारी का तबादला, ओवैसी का बड़ा आरोप
Bija Mandal Case: बीजा मंडल मामले में असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान आया है. उनका कहना है कि ज़िला अधिकारी का इसलिए ट्रांसफर किया गया, क्योंकि वह कानून को फॉलो कर रहे थे.
Bija Mandal Case: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के जिलाधिकारी का तबादला इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने बीजामंडल विवाद से निपटने में कानून का पालन किया था.
बीजा मंडल मामले में ज़िलाअधिकारी का तबादला
राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने शनिवार को कई आईएएस अधिकारियों का तबादला किया है, जिसमें विदिशा के जिलाधिकारी बुद्धेश कुमार वैद्य भी शामिल हैं. जिनकी जगह रोशन कुमार सिंह को रखा गया है. इसी बात को लेकर विवाद हो रहा है और असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर जोरदार हमला बोला है, उनका मानना है कि सरकार ने साज़िशन ऐसा किया है.
क्या बोले असदुद्दीन अवैसी?
ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, "मध्य प्रदेश में, संघ संगठनों ने मांग की है कि उन्हें मस्जिद में उपासना करने की इजाजत दी जानी चाहिए. जिलाधिकारी ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) गजट में स्ट्रक्चर को मस्जिद बताया गया है और इजाज़त देने से इनकार कर दिया."
कानून का पालन करने पर जिला अधिकारी का तबादला
ओवैसी आगे कहते हैं,"जिलाधिकारी का तबादला इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने कानून का पालन किया. वक्फ संशोधन विधेयक का यही खतरा है. सरकार कलेक्टर को बहुत ज़्यादा अधिकार देना चाहती है, अगर कोई कहता है कि मस्जिद मस्जिद नहीं है; तो कलेक्टर को भीड़ की मांग माननी होगी या फिर उसका तबादला कर दिया जाएगा. कोई भी सबूत काफी नहीं होगा.
बीजेपी ने दी प्रतिक्रिया
असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर बीजेपी का पलटवार आया है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की सरकार नियम कानून से चलने वाली सरकार है. यहां पर किसी भी धार्मिक उन्माद फैलाने वाले व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बीजेपी प्रवक्ता राजपाल सिसोदिया ने कहा कि ओवैसी अपना हैदराबाद संभाले मध्य प्रदेश में दखल देने की जरूरत नहीं है. ओवैसी ऐसी बातें करके राजनीतिक रोटियां सेकने की कोशिश कर रहे हैं.
हिंदुओं के एक ग्रुप ने हाल ही में जिलाधिकारी वैद्य को एक ज्ञापन सौंपकर उनसे नागपंचमी त्योहार के मौके पर पूजा-अर्चना के लिए बीजामंडल खोलने गुज़ारिश की थी. जिलाधिकारी ने अर्जी एएसआई को भेज दी, जिसने 2 अगस्त को 1951 के एक राजपत्र अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि बीजामंडल एक मंदिर नहीं, बल्कि एक मस्जिद था.
इस मांग को नकार दिया गया था और बीजामंडल के बाहर की सिक्योरिटी में इज़ाफा कर दिया गया था. यह मामला पेश आने के बाद काफी विवाद हुआ था. काफी लोगों ने वहां जाकर अंदर घुसने की भी कोशिश की थी. हालांकि पुलिस प्रशासन ने इसे नाकामयाब कर दिया था.