Bilkis Bano Case: बहुचर्चित बिल्कीस बानो केस अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को 2002 के बिलकिस बानो मामले में बलात्कार और हत्या के दोषी 11 लोगों को दी गई माफी को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने के लिए तैयार हो गया. मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने अधिवक्ता अपर्णा भट और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई जल्द करने का आग्रह किया. 


कपिल सिब्बल ने अदालत को दी दलील


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सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि एक गर्भवती महिला के साथ बलात्कार किया गया और लोगों को मार दिया गया, इसलिए कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करे. पीठ ने वकील से पूछा कि क्या उन्हें शीर्ष अदालत के आदेश के आधार पर माफी दी गई. सिब्बल ने जवाब दिया कि शीर्ष अदालत ने केवल राज्य को मामले पर विचार करने का निर्देश दिया था, और वे रिहाई को चुनौती दे रहे हैं, शीर्ष अदालत के आदेश को नहीं. बेंच ने कहा, 'हम देखेंगे'.


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गुजरात नई नीति के तहत मिली रिहाई


अपर्णा भट ने अदालत से मामले को बुधवार के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. पीठ ने जवाब दिया, पहले कागजात देखते हैं. उम्र कैद की सजा पाने वाले 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था. गुजरात सरकार ने अपनी नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दे दी थी.


क्या है पूरा मामला?


जनवरी 2008 में, मुंबई में एक विशेष सीबीआई अदालत ने बिलकिस बानो से बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा. बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, जब गोधरा ट्रेन में आग लगने के बाद भड़की हिंसा से भागते समय उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया.


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