Bilkis Bano Case: कांग्रेस ने बिल्कीस बानो मामले की पृष्ठभूमि में मंगलवार को आरोप लगाया कि सभी दोषियों की रिहाई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की स्वीकृति से हुई और यह सब चुनाव के मद्देनजर किया गया. पार्टी ने यह सवाल भी किया कि इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुप क्यों हैं.


 केंद्र सरकार की मंजूरी ली गई


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गुजरात सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में कहा था कि बिल्कीस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में 11 दोषियों को माफी देने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी ली गई थी. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘लाल किले से महिला सम्मान की बात, लेकिन असलियत में 'बलात्कारियों' का साथ. प्रधानमंत्री के वादे और इरादे में अंतर साफ है, प्रधानमंत्री ने महिलाओं के साथ सिर्फ छल किया है.’’


मजहब देखकर लिया निर्णय


कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने राहुल गांधी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा, ‘‘देश इंतजार कर रहा है मोदी जी, कुछ इस मुद्दे पर भी अपने मन की बात बताइए.’’ खेड़ा ने बिल्कीस मामले पर एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘जहां सरकार बलात्कार की शिकार का मजहब और बलात्कारी का धर्म देखकर अपने निर्णय ले, क्या वहां अब कुछ बचा है लड़ने को?’’ 


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15 अगस्त को हुई रिहाई


पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऐसा सरकार की तरफ से पहली बार कहा गया है कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों की रिहाई पर मोदी सरकार ने सहमति दी. यह बड़ी विडंबना है कि रिहाई 15 अगस्त को हुई.’’


दोषियों की रिहाई को लेकर दृढ थी सरकार


कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘विशेष अदालत द्वारा खारिज, CBI द्वारा शक जताए जाने के बाद केवल केंद्र की भाजपा सरकार बिल्कीस बानो के दोषियों की रिहाई को लेकर दृढ थी. बलात्कारियों और हत्यारों की आजादी उसकी प्राथमिकता है न कि न्याय की उम्मीद कर रही एक महिला की याचिकाएं. यह सरकार के चरित्र के बारे में काफी कुछ कहता है, है न?’’


क्या था मामला?


गौरतलब है कि 21 वर्षीय बिल्कीस बानो से गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उसकी तीन साल की बेटी समेत परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. घटना के वक्त वह पांच महीने की गर्भवती थी.


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