Bilkis Bano Case: हाई कोर्ट ने बिलकीस बानो मामले में 11 में से दो दोषियों की ओर से सजा में दी गई छूट को रद्द करने के शीर्ष अदालत के आठ जनवरी के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से आज इंकार किया है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिका को ‘‘पूरी तरह से गलत’’ करार दिया और कहा कि वह टॉप कोर्ट की एक दूसरी पीठ के जरिए पारित आदेश के खिलाफ अपील पर कैसे गौर कर सकती है. पीठ ने कहा, "यह क्या याचिका है? कैसे इस याचिका पर सुनवाई की जा सकती है. यह पूरी तरह से गलत है.


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कोर्ट ने आगे कहा,"अनुच्छेद 32 याचिका कैसे दायर की जा सकती है? हम किसी अन्य पीठ के जरिए पारित आदेश के खिलाफ अपील पर गौर नहीं कर सकते." दोषियों राधेश्याम भगवानदास शाह और राजूभाई बाबूलाल सोनी की ओर से पेश वकील ऋषि मल्होत्रा ​​ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी. पीठ ने वकील को याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी है.


बिलकिस बानो के आरोपियों ने की थी अपील


मार्च में भगवानदास और बाबूलाल ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि जनवरी का फैसला संविधान पीठ के 2002 के आदेश का उल्लंघन है और उन्होंने गुजारिश की थी कि गुजरात सरकार के जरिए उनकी छूट रद्द करने के मुद्दे को बड़ी पीठ को भेजा जाए.


उन्होंने दावा किया था कि एक "असामान्य" हालात पैदा हो गए हैं; यानी, सुप्रीम कोर्ट की दो अलग-अलग बेंचों, दोनों की ताकत समान है, उन्होंने राज्य सरकार की कैदियों की जल्द रिहाई की नीति पर बिल्कुल विपरीत विचार रखे हैं. आज की याचिका के मुताबिक, मई 2022 में एक बेंच ने राज्य को भगवानदास की जल्द रिहाई की याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया था. हालांकि, फैसला सुनाने वाली बेंच ने कहा कि यह महाराष्ट्र है, न कि गुजरात, जो छूट देने के लिए सक्षम है.