बाराबंकीः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एमपी बृजभूषण शरण सिंह ( Brij Bhusan Saran Singh) ने एमपी-एमएलए पर तंज़ कसते हुए कहा कि अवामी नुमाइन्दा (जन प्रतिनिधी) बनने के बाद भी लीडरों की अफसरों को ‘सर’ कहने की आदत नहीं जा रही है और वे उनके पैर छू रहे हैं. गोंडा के क़ैसरगंज से एमपी (Kaisarganj MP) ने कहा, "पहले लीडर आंदोलनों, स्टूडेंट काउंसिल और स्टूडेंट पॉलिटिक्स से तप कर बड़े ओहदों पर चुन कर आते थे, लेकिन अब वह सब बंद हो गया है. अब ऐसे लीडरान की तादाद भी काफी कम हो गई है. अब सिर्फ नॉमिनेटेड लीडर आने लगे है. ऐसे लीडर एमएलए तो बन जाते है, लेकिन उनमें अंदर जिगरा नहीं होता है. नॉमिनेटेड लीडर एमपी भी बन गए, लेकिन उनकी सर कहने की आदत नहीं गई. आज के एमपी और एमएलए अफसरों के ऑफिस में उनके पांव छू रहे हैं.’’


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एक्स मिनिस्टर अरविंद सिंह गोप के भाई और साबिक़ (पूर्व) ज़िला पंचायत सद्र अशोक सिंह के इंतेक़ाल पर अफ़सोस का इज़हार करने पहुंचे एमपी बृजभूषण शरण सिंह ने रिपोर्टर से बात करते हुए कहा कि उनके पास एक शख़्स आया और उसने कहा कि वह एमएलए का चुनाव लड़ना चाहता है. इस पर उन्होंने उससे पूछा कि कोई एक काम बताइये जिससे अवाम आपके ऊपर यक़ीन करते हों. 


हिन्दुस्तानी आईन में अवामी नुमाइन्दों को ज़्यादा इख़्तेआर दिए गए हैं और ब्योरोक्रेसी सिर्फ अवामी नुमाइन्दों के कामों में मदद के लिए बनाई गई है.


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