हजारीबाग से BJP सांसद जयंत सिन्हा नहीं लड़ना चाहते हैं चुनाव; इस वजह से बदला रास्ता
Jayant Sinha: झारखंड के हज़ारीबाग़ सांसद व पूर्व केंद्रीय जयंत सिन्हा ने शनिवार को कहा कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से उन्हें `प्रत्यक्ष चुनावी कर्तव्यों` से मुक्त करने का अनुरोध किया है.
Jayant Sinha: गौतम गंभीर के बाद हजारीबाग से भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने भी राजनीति छोड़ने का ऐलान किया है. वह आगामी लोकसभा चुनाव 2024 नहीं लड़ना चाहते हैं. झारखंड के हज़ारीबाग़ संसदीय इलाके से सांसद सिन्हा ने शनिवार को कहा कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से उन्हें "प्रत्यक्ष चुनावी कर्तव्यों" से मुक्त करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए है. पूर्व मंत्री का विवादों से भी पुराना नाता रहा है.
दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने साल 2017 झारखंड के रामगढ़ हुए अलीमुद्दीन अंसारी के मॉब लिंचिंग में दोषी करार दिए गए 8 लोगों को जमानत मिलने फूल के हार पहना कर स्वागत किया था. जिसके बाद देश और विदेश में बीजेपी नेता की जमकर आलोचना हुई थी.
विवादों से पुराना नाता
बता दें कि 27 जून 2017 को हजारीबाग जिले के रामगढ़ में ड्राइवर अलीमुद्दीन अंसारी की दिनदहाड़े पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इस भयानक वारदात ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. करीब सौ गोरक्षकों के द्वारा ट्रक ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या की इस वारदात ने झारखंड की रघुवर सरकार को कठघड़े में खड़ा कर दिया था. देशभर को दहला देने वाली इस घटना की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चली. कोर्ट ने इस मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. लेकिन तत्तकालीन केंद्रीय मंत्री ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए CBI जांच की मांग की थी. जिसके बाद सभी दोषियों ने झारखंड हाईकोर्ट का रुख किया, जहां कोर्ट ने 11 दोषियों में से 8 लोगों को 29 जून को जमानत दे दी थी.
ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी ने भी दी थी प्रतिक्रिया
इसके बाद बीजेपी नेता सिन्हा ने 5 जुलाई को जमानत पर जेल से आए बाहर 8 लोगों को फूलों के हार भव्य स्वागत किया था. जिसके बाद देश मे फिर से एक बार भूचाल आ गया. विपक्ष बीजेपी नेता पर सांप्रदायिक तनाव को हवा देने का इल्जाम लगाया. जयंत सिन्हा के इस कृत्य पर ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि यहां से पढ़े हुए छात्र ने जिस तरह से दोषियों को फूल के हार से सम्मानित किया वह हबहुत ही निंदनीय है.