नई दिल्लीः देश में मुसलमानों में कुर्बानी की प्रथा के अलावा हिन्दुओं और बाकी के अन्य  मुसलमानों के कुर्बानी का त्यौहार हाल में संपन्न हो चुका है.  इसके बाद संसद के मानसून सत्र में एक सांसद ने कुर्बानी को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं. इसके साथ ही उस कानून में संसोशन करने की मांग की है, जो धार्मिक आस्था के कारण पशुओं की बलि देने की छूट देता है. सांसद ने ये भी कहा है कि कुर्बानी सिर्फ बूचरखानों में किया जाना चाहिए. 


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पशु क्रूरता निवारण कानून में संशोधन की मांग 
भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुनील कुमार सोनी ने मंगलवार को संसद में केंद्र सरकार से अपील की है कि पशु क्रूरता निवारण कानून, 1960 की धारा 28 को खत्म किया जाए और कुर्बानी को सिर्फ लाइसेंस शुदा बूचड़खाने में करने को अनिवार्य बनाया जाए. उन्होंने लोकसभा में नियम 377 के तहत यह मांग उठाई है.उल्लेखनीय है कि पशु क्रूरता निवारण कानून, 1960 की धारा 28 धार्मिक रीति-रिवाज के लिए पशुओं को मारने की बलि देने की इजाजत देता है. 

पर्यावरण और बीमारी का दिया हवाला 
सांसद सुनील कुमार सोनी ने कहा, ‘‘धार्मिक रीति-रिवाजों के नाम पर जानवरों को मौत के घाट उतारा जाता है, जो एक क्रूर कृत्य है. बूचड़खानों के अलावा सार्वजनिक जगहों पर भी जानवरों की बलि दी जाती है. इसका पर्यावरण पर भी खराब असर पड़ता है. भाजपा सांसद ने कहा कि इस तरह जानवर का मांस भी इंसानों के स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होता है, क्योंकि मारे गए जानवरों की किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सुरक्षा जांच नहीं की जाती है. 

सिर्फ बूचड़खानों में हो कुर्बानी 
सांसद सोनी ने कहा, ‘‘मेरी अपील है कि पशु क्रूरता निवारण कानून 1960 की धारा 28 को हटाया जाए. इसके साथ ही जो, लोग जानवरों की कुर्बानी करना चाहते हैं, उनके लिए सिर्फ लाइसेंस शुदा बूचड़खानों में ही कुर्बानी की अनिवार्यता तय की जाए.’’ वहीं   अन्नाद्रमुक सांसद पी रवींद्रनाथ ने नियम 377 के तहत यह मांग उठाई कि सरकारी सेवाओं में जाने के लिए देश के हर जिले में सरकार की तरफ से एक कोचिंग सेंटर खोला जाए ताकि आम परिवारों के बच्चे तैयारी कर सकें.


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