मरकज़ की सियासत में अरसे बाद ऐसा हुआ है कि कोई ऐसी मज़बूत सरकार बनी है, जो ठोस और असरदार फ़ैसले लेने में मुकम्मल तौर पर आज़ाद और ख़ुद मुख़्तार है। घरेलू मोर्चे से लेकर मुल्क के बाहरी मामलों तक सरकार बिना दबे मुल्क और अवाम के फ़ायदे में पॉलिसियां बना रही है, जिसका साफ़ असर मुल्क के अंदर और दूसरे मुल्कों के साथ रिश्तों में नज़र आ रहा है।


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पूरी दुनिया इस वक़्त हिन्दुस्तान की तरफ़ उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है। मंदी से जूझ रहे यूरोप और अमेरिका जैसे मुल्कों की इकॉनमिक रेटिंग एजेंसियां भी हिंदुस्तान में 6 से 7 फ़ीसद तक सालाना इकॉनमिक ग्रोथ रेट का इशारा कर रही हैं, जो हक़ीक़त में उनके अंदाज़े से भी कहीं ज्यादा है। ये वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी की कामयाब और तजुर्बेकार फ़ॉरेन पॉलिसी का नतीजा ही है कि मुल्क आज भी अपनी पुरानी फ़ॉरेन पॉलिसी पर चलते हुए बिना किसी गुट का हिस्सा बने रूस और अमेरिका जैसी दो बड़ी ताक़तों की ज़रूरत बना हुआ है। आज हिंदुस्तान को दुनिया की कोई भी बड़ी ताक़त नज़रअंदाज नहीं कर सकती। कई तरक़्क़ी पज़ीर मुल्क भारत की इकोनॉमिक पॉलिसी को फ़ॉलो कर रहे हैं, और उसे अपने यहां लागू कर रहे हैं. वो हमसे कई मोर्चों पर मदद की उम्मीद कर रहे हैं, और भारत उनकी उम्मीदों पर खरा भी उतर रहा है। इसकी मिसाल कोविड महामारी के दौरान दुनिया ने देखी और महसूस की। भारत ने कई मुल्कों को कोविड की वैक्सीन और लाइफ़ सेविंग दवाएं मुहैया कराकर लाखों-करोड़ों लोगों की ज़िंदगी बचाई और एक ज़िम्मेदार मुल्क होने का फ़र्ज़ अदा किया।  


भूख से लड़ रहे अफ़ग़ानिस्तान में मोदी सरकार ने लाखों टन अनाज देकर इंसानियत का फ़र्ज़ निभाया। तुर्की में आए ज़लज़ले में हमने दिल खोलकर मदद की है। मोदी हुकूमत में मिडिल ईस्ट के मुस्लिम मुल्कों से हमारे रिश्ते पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत और बेहतर हुए हैं। यही वजह है कि मरकज़ी हुकूमत ने जब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को ख़त्म किया तो पाकिस्तान की लाख कोशिशों के बावजूद मिडिल ईस्ट के ज़्यादातर मुल्क भारत के साथ मज़बूती से खड़े रहे। कश्मीर मुद्दा और भारत में सरहद पार की दहशतगर्द हरकतों को अंजाम देने के मसले पर आज पाकिस्तान यूनाइटेड नेशंस से लेकर दुनिया भर में बुरी तरह बेनक़ाब हो चुका है और अलग-थलग पड़ गया है।


सऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरात हमारे बड़े कारोबारी पार्टनर मुल्क बन चुके हैं। सऊदी अरब की सबसे बड़ी और सरकारी तेल कंपनी आरामको हिंदुस्तान में इन्वेस्टमेंट कर रही है। पिछले 9 साल में भारत में बाहरी मुल्क के इन्वेस्टर्स का जो सैलाब आया है, ऐसा पिछले 70 सालों में नहीं हुआ था। मौजूदा वक़्त में दुनिया भर के बड़े ब्रांड्स और कंपनियां हमारे मुल्क में कारोबार करने के लिए बेचैन दिखाई दे रही हैं। ऐसा इसलिए मुमकिन हुआ है, क्योंकि मरकज़ी सरकार ने फ़ॉरेन इंवेस्टमेंट और घरेलू कारोबार के रास्ते में आने वाले इंस्पेक्टर राज और तमाम तरह की क़ानूनी रुकावटों को ख़त्म कर कारोबार और इन्वेस्टमेंट की राह को आसान बना दिया है। हमारी सरकार बाहरी और घरेलू इंवेस्टर्स को ये भरोसा देने में कामयाब रही है कि मुल्क में कारोबार और इन्वेस्टमेंट का ये सबसे बेहतर मौक़ा और माहौल है। PM दूसरे मुल्कों का दौरा कर NRI कारोबारियों और इंवेस्टर्स को अपने मुल्क में इंवेस्ट करने की दावत दे रहे हैं; जिसमें बड़ी कामयाबी भी मिल रही है।  



आज मुल्क में घरेलू सतह पर र्स्टाटअप का ज़ोर है। जिस की वजह लाखों बेरोज़गारों को रोज़गार मिला है। सरकार ऐसे स्टार्टअप को मदद कर रही है। हुकूमत नौजवानों को नौकरी मांगने वाला बनाने के बजाए उन्हें नौकरी पैदा करने वाला एक क़ाबिल कारोबारी बनने पर ज़ोर दे रही है।  



हुकूमत बिना इम्तियाज़ी सुलूक (दोहरे रवैय्ये ) और तुष्टिकरण (अपीज़मेंट) के मुआशरे (समाज) के सभी लोगों की तरक़्क़ी के लिए काम कर रही है। 9 साल पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जो 'सबका साथ, सबका विकास' का ख़्वाब देखा था, उस मंज़िल को पाने की सिम्त में हम मुसलसल आगे बढ़ रहे हैं। सरकार की नीतियां (पॉलिसी) समाज के सभी तबक़ों को ध्यान में रखकर उनकी तरक़्क़ी के लिए बनाई जा रही है। सरकार ने समाज से हर तरह की ग़ैर-बराबरी को ख़त्म करके मुल्क में बराबरी, इत्तेहाद और शांति (अम्न) का माहौल क़ायम किया है। ग़रीबों को मुफ़्त अनाज, घर, हेल्थ कार्ड और किसानों को माली इमदाद जैसे सरकार के मंसूबे मुल्क की तरक़्क़ी की राह में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। यही वजह है कि ज़ात-बिरादगी, तबक़ा, फिरक़ावाराना तअस्सुब  और इलाक़ाई फ़ीलिंग से ऊपर उठकर अवाम भाजपा की हुकूमत और वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी की रहनुमाई पर भरोसा कर लगातार उन्हें अपनी हिमायत और प्यार दे रही है।


 :- सैयद शाहनवाज़ हुसैन
  (लेखक भाजपा के बड़े नेता, प्रवक्ता और साबिक़ वज़ीर हैं)