कोच्चिः अक्सर अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान ऐसे फरमान जारी करता है, कि स्कूल या कॉलेज में लड़के और लड़कियां एक साथ कक्षा में नहीं बैठ सकते हैं. तालिबान के इन आदेशों की भारत समेत दुनिया भर में आलोचना की जाती है. अब एक ताजे मामले में भारत में एक हिंदूवादी समूह ने कक्षा में छात्र-छात्रों के साथ बैठने का विरोध किया है. वह भी ऐसे राज्य में जहां की जनता देश में सबसे ज्यादा प्रोग्रेसिव समझी जाती है.


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हम अमेरिका या इंग्लैंड में नहीं रह रहे हैं


केरल में आबादी की लिहाज से मजबूत हिंदू एझावा समुदाय के नेता वेल्लापल्ली नतेसन ने कहा है कि लड़कियों और लड़कों का कक्षाओं में एक साथ बैठना भारतीय संस्कृति के खिलाफ है, और यह अराजकता पैदा करता है. 
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के बेहद करीबी माने जाने वाले नतेसन ने कहा, ‘‘हम श्री नारायण धर्म परिपालन योगम, क्लास में लड़कियों और लड़कों के एक साथ बैठने के समर्थन में नहीं हैं. हमारी अपनी संस्कृति है. हम अमेरिका या इंग्लैंड में नहीं रह रहे हैं. हमारी संस्कृति लड़कों और लड़कियों द्वारा एक दूसरे को गले लगाने और साथ बैठने को स्वीकार नहीं करती है. आप ईसाई और मुस्लिम शैक्षणिक संस्थानों में ऐसा होते नहीं देखते हैं.’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि नायर सर्विस सोसाइटी (एनएसएस) और एसएनडीपी द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों में ऐसी चीजें हो रही हैं.


बच्चे बड़े और परिपक्व हो जाते हैं, तो वे जो चाहें कर सकते हैं


गौरतलब है कि एनएसएस और एसएनडीपी केरल में दो प्रमुख हिंदू जाति संगठन हैं. नतेसन ने कहा कि जब बच्चे बड़े और परिपक्व हो जाते हैं, तो वे जो चाहें कर सकते हैं. नतेसन ने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एलडीएफ सरकार खुद को एक धर्मनिरपेक्ष सरकार कहने के बावजूद धार्मिक दबाव के आगे झुक रही है, और अपने कुछ फैसलों पर देर तक टिकती नहीं है. इससे समाज में गलत संदेश जाता है. वह हाल में राज्य सरकार द्वारा की गई उस घोषणा का जिक्र कर रहे थे जिसमें कहा गया था कि सरकार यह तय नहीं करने जा रही है कि बच्चों को कौन सा यूनिफॉर्म पहनना चाहिए या उन्हें मिश्रित स्कूलों में जाना चाहिए या नहीं. राज्य सरकार को उसकी लिंग तटस्थ शिक्षा नीति को लेकर विभिन्न मुस्लिम संगठनों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.


एक दूसरे को गले नहीं लगाना चाहिए 
नतेसन ने कहा कि इस तरह का व्यवहार अराजकता पैदा करता है और आप इसे हिंदू संगठनों द्वारा संचालित कॉलेजों में देख सकते हैं. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि ऐसे संस्थानों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अच्छे ग्रेड या वित्त पोषण नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि 18 साल से कम उम्र के या कॉलेजों में जो युवा छात्र-छात्राएं हैं, उन्हें साथ नहीं बैठना चाहिए या एक दूसरे को गले नहीं लगाना चाहिए. राज्य में लड़कियों और लड़कों दोनों के लिए सह-शिक्षा वाले स्कूलों में एक साथ पढ़ाया जाता है.
 


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