नई दिल्लीः आम बजट से अल्पसंख्यकों को काफी निराशा हाथ लगी है. उन्हें उम्मीद थी कि सरकार के आखिरी पूर्णकालिक बजट में सरकार अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए कुछ घोषणा कर सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. अल्पसंख्यकों के उम्मीदों पर पानी फिर गया है. उम्मीदों के उलट अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के लिए सरकार ने बजट आवंटन 2023 के लिए 38 प्रतिशत से ज्यादा घटाकर 3097.60 करोड़ रुपये कर दिए हैं. अल्पसंख्यक मंत्रालय के लिए 2022-23 के लिए बजट आवंटन 5020.50 करोड़ रुपये था, जिसे घटाकर 3097.60 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इस आवंटन में से 1,689 करोड़ रुपये शिक्षा सशक्तिकरण के लिए है. वहीं, कौशल विकास और आजीविका के लिए 64.4 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अंब्रेला कार्यक्रम के लिए बजट अनुमान 610 करोड़ रुपए रखे गए हैं. 

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इससे पहले सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति को बंद कर दिया था, जिसकी विपक्ष सहित तमाम लोगों ने आलोचना की थी. इसके बावजूद लोगों को उम्मीद थी कि बजट में सरकार कुछ नए स्कीम की घोषणा कर सकती है. बजट में अल्पसंख्यकों के रकम में कटौती करने के बाद लोग सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना कर रहे हैं. 


आप ने बजट को अल्पसंख्यक विरोधी बताया 
केंद्र सरकार ने आम बजट पेश किया उसमे अल्पसंख्यकों के लिए जिस तरहां से बजट घटा दिया गया है, उसको लेकर जी मीडिया से बात करते हुए आप पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार गुप्ता ने बताया की यह बजट अल्पसंख्यकों का विरोधी बजट है, उनकी एजुकेशन को कमज़ोर करने वाला बजट है. उन्होंने कहि कि पूरा बजट आम आदमी के खिलाफ है. 


सही मायनों में 'अमृत काल बजट’: ईरानी 
वहीं, अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने केंद्रीय बजट की तारीफ करते हुए कहा, “ये सही मायनों में 'अमृत काल बजट’ है. इसके लिए प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री दोनों बधाई के पात्र हैं. ये बजट समावेशी विकास का प्रतीक है और आर्थिक बुनियादी बातों को मजबूत करता है." उन्होंने कहा, “इन्फ्रा, टेक, हरित ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों पर दिया गया जोर एक मजबूत कल के लिए भारत में विकास के मार्ग खोलेगा.’’ 


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