गुरुग्राम/नोएडाः उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर को इतवार को ज़मीदोंज करने के बीच राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बिल्डर की दूसरी परियोजनाओं में निवेश करने वाले घर खरीदारों ने सरकार से सवाल पूछा है कि असल में सज़ा किसे मिली है? उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सालों पहले बुक कराए गए उनके फ्लैट का कब्जा कब मिलेगा? एनसीआर में एक घर होने का सपना देखने वाले ये खरीदार इतवार को टेलीविजन के सामने जमे रहे जब सुपरटेक के इन टावर को गिराया जा रहा था. 

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अवैध टावर को गिराना काफी नहीं 
हरियाणा में गुरुग्राम निवासी अरुण मिश्रा इतवार को इस कार्रवाई के बारे में लगातार अपडेट देख रहे थे. मिश्रा ने 2015 में हरियाणा के गुरुग्राम के बाहरी इलाके में सुपरेटक के ‘हिल टाउन’ प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराया था. उसी वक्त से वे अपने आशियाने का कब्जा हासिल करने की राह देख रहे हैं. उनसे वादा किया गया था कि 2018 तक उन्हें फ्लैट दे दिया जाएगा. उन्होंने कहा, “ट्विन टावर की कहानी से मुझे एक बात समझ नहीं आई कि ’ हकीकत में सजा किसे मिली? सिर्फ अवैध टावर को गिराना काफी नहीं है? बिल्डर को जेल क्यों नहीं भेजा गया? खरीदारों ने अपनी मेहनत की कमाई से घर खरीदने का सपना देखा था, लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला? मानसिक तनाव और भुगतान के पैसे वापस पाने के लिए एक लंबा इंतजार.” मिश्रा ने कहा, “कम से कम, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पैसा वापस देने का आदेश दिया है. दूसरे परियोजनाओं के बारे में क्या, जहां बिल्डर ने गड़बड़ियां की हैं ? उनके लिए कोई इंसाफ नहीं है. यह बहुत निराशाजनक है,“ 

न तो हमारे फ्लैट मिलेंगे और न ही पैसा 
सुपरटेक की विभिन्न परियोजनाओं में 200 से ज्यादा लोगों ने अपने लिए घर बुक कराया था, जो बिल्डर से पैसे वापस लेने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. एक दूसरे शख्स सनी सिंह ने कहा, “बिल्डर के पास पहले ही नकदी की कमी है. कंपनी ने ट्विन टावर को गिराने और उसमें फ्लैट बुक कराने वालों को पैसा वापस करने के लिए धन कहां से हासिल किया? जाहिर है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने के लिए, मौजूदा परियोजनाओं के धन को फिर से इधर-उधर किया जाएगा, और हम जैसे लोगों को न तो हमारे फ्लैट मिलेंगे और न ही पैसा वापस मिलेगा.” उन्होंने गुरुग्राम में सुपरटेक के अज़ालिया परियोजना में फ्लैट बुक कराया है.

हमारे जैसे दूसरे लोगों का क्या होगा 
नोएडा निवासी  एक अन्य खरीदार आशीष गुप्ता ने कहा, “क्या टावर को ध्वस्त कर देना ही काफी है? यह बिल्डर को सजा है या घर खरीदने वालों को? जो लोग एक दशक से ज्यादा वक्त से फ्लैट मिलने का का इंतजार कर रहे थे, वे आज सिर्फ दर्शक बनकर रह गए, और हमारे जैसे दूसरे लोगों का क्या होगा जो अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने वाले हैं? 

भ्रष्टाचार की इमारत थी दोनों टावर 
नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के बने ‘एपेक्स’ (32 मंजिल) और ‘सियान’ (29 मंजिल) नामक दोनों टावर चंद सेकेंड के भीतर जमींदोज कर दिए गए. अवैध रूप से निर्मित इन ढांचों को ध्वस्त करने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश के साल भर बाद यह कार्रवाई की गई है. एक रेजिडेंट्स एसोसिएशन ने नौ साल पहले यहां ट्विन टावर को अवैध रूप से बनाए जाने का इल्जाम लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. शीर्ष अदालत के मुताबिक बिल्डरों और नोएडा प्राधिकरण के अफसरों के बीच ‘मिलीभगत’ की वजह से ही सुपरटेक लिमिटेड को उस इलाके में निर्माण करने दिया गया जहां मूल योजनाओं के मुताबिक कोई भवन नहीं बनना था.
 


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