नई दिल्लीः अगले साल अप्रैल से लागू होने वाले उत्सर्जन मानकों के लिहाज से अपने वाहनों को विकसित करने पर वाहन निर्माता कंपनियों का खर्च बढ़ने से यात्री और वाणिज्यिक वाहनों की कीमतें बढ़ने की संभावना है. भारतीय वाहन उद्योग फिलहाल अपने वाहनों को भारत चरण-6 (बीएस-6) उत्सर्जन मानक के दूसरे चरण के अनुकूल ढालने की कोशिश कर रहा है. ऐसी स्थिति में वाहन उद्योग के जानकारों का मानना है कि इसका बोझ अगले वित्त वर्ष से खरीदारों को ही उठाना पड़ेगा. 

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वाहन की सर्विस कराने का संकेत देगा नया उपकरण 
उन्नत उत्सर्जन मानकों पर खरा उतरने के लिए वाहनों में ऐसा उपकरण लगाना होगा जो चलती गाड़ी के उत्सर्जन स्तर को मोनिटर कर सके. वाहन उत्सर्जन का स्तर एक तय मानक से ज्यादा होते ही यह उपकरण चेतावनी लाइट देकर यह बता देगा कि वाहन की सर्विस कराने का वक्त आ गया है. 

इस बात पर भी नजर रखेगा उपकरण
इसके अलावा वाहन में एक प्रोग्राम्ड ईंधन इंजेक्टर भी लगाया जाएगा. यह उपकरण पेट्रोल इंजन में भेजे जाने वाले ईंधन की मात्रा और उसके वक्त पर भी नजर रखेगा. वाहन विशेषज्ञों का कहना है कि वाहनों में इस्तेमाल होने वाले सेमीकंडक्टर चिप को भी इंजन के तापमान, ज्वलन के लिए भेजी जाने वाली हवा के दबाव और उत्सर्जन में निकलने वाले कणों पर नजर रखने के लिए उन्नत करना पड़ेगा.

2020 से लागू किया गया था बीएस-6 का पहला चरण 
गौरतलब है कि भारत में नए उत्सर्जन मानक के तौर पर एक अप्रैल, 2020 से बीएस-6 का पहला चरण लागू किया गया था. नए मानक के मुताबिक, ढालने पर घरेलू वाहन कंपनियों को करीब 70,000 करोड़ रुपये का निवेश करना पड़ा था. टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने कहा कि कंपनी इस बदलाव के अंतिम दौर में पहुंच चुकी है और इंजीनियरिंग क्षमता का एक बड़ा हिस्सा इस विकास कार्य में लगा हुआ है. 


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