पटनाः जाति आधारित जनगणना के प्रस्ताव को लेकर संसद में सत्ता और विपक्ष के बीच चले खींच-तान के बाद बिहार में शनिवार से जाति जनगणना के पहला चरण की शुरुआत हो गई है. इस तरह बिहार जाति जनगणना करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. जाति जनगणना के शुरू होने के साथ ही उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि जनगणना की कवायद सरकार को वैज्ञानिक रूप से विकास कार्य करने में सक्षम बनाएगी और यह राज्य की गरीब आबादी के हित में होगी. यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी नहीं चाहती है कि इस तरह का कोई सर्वे देश में कराया जाए. 
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा कराए जाने वाले जनगणना में इस तरह की कवायद से इनकार करने के महीनों बाद बिहार कैबिनेट ने पिछले साल 2 जून को जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया था.

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जाति आधारित जनगणना में कुल 26 प्रकार की जानकारी जुटाएगी 
बिहार में जाति आधारित जनगणना दो चरणों में राज्य के सभी 38 जिलों में किया जाना है. पहले चरण का जनगणना 21 जनवरी तक पूरा हो जाएगा, इसके लिए राज्य के सभी घरों की संख्या की गणना की जाएगी. जाति गणना में कुल 26 प्रकार की जानकारी जुटाई जाएगी. सर्वे का दूसरा चरण 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक होने की संभावना है. सभी जातियों, उप-जातियों, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों आदि के लोगों से संबंधित आंकड़े इसमें जमा किए जाएंगे. सर्वे में 38 जिलों में अनुमानित 2.58 करोड़ घरों में 12.70 करोड़ की अनुमानित आबादी शामिल होगी, जिसमें 534 ब्लॉक और 261 शहरी स्थानीय निकाय हैं. सर्वे का काम 31 मई, 2023 तक पूरा होगा.

जातिगत जनगणना राज्य के विकास में सहायक होगीः नीतीश  
इससे पहले शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सरकार ने राज्य में उप-जातियों और नागरिकों की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए जाति आधारित जनगणना करने का फैसला किया है और इसके लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया गया है. उन्होंने यह भी कहा था कि जनगणना राज्य और देश के विकास के लिए फायदेमंद होगी. नीतीश कुमार ने शिवहर जिले में अपनी 'समाधान यात्रा’ के दौरान इस मुद्दे पर बोल रहे थे. 


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