काबुल: अफगानिस्तान फतह करने के बाद तालिबान आज हुकूमत का ऐलान कर सकता है जो कमोबेश ईरानी मॉडल पर होगा. माना जा रहा है कि आज जुमे की नमाज़ के बाद अफगानिस्तान को तालिबान की कियादत में नई सरकार मिल सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक हुकूमत के सर्वेसर्वा हिबतुल्लाह अखुंदजादा हो सकते हैं.


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वहीं, हुकूमत बनाने के बाद तालिबान को मुल्क को बोहरान से निकालने के लिए आर्थिक मदद ज़रूरत होगी, जिसके सहारे मुल्क को संकट से निजात दिला सके. बताया जा रहा है कि इसके लिए तालिबान ने चीन की तरफ मदद के लिए हाथ बढ़ाया है.


द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के तरजुमान मुजाहिद ने ला रिपब्लिका अखबार को बताया कि तालिबान 'वन बेल्ट, वन रोड' परियोजना की बहुत परवाह करता है. हमारे पास समृद्ध तांबे की खदानें हैं, जिसका आधुनिकीकरण किया जाएगा, इसके लिए चीन को धन्यवाद. आखिर में चीन दुनियाभर के बाजारों में हमारे प्रवेश नुमाइंदगी कर रहा है.' बीजिंग पर मुजाहिद ने कहा, 'वह हमारा मुख्य भागीदार है क्योंकि वह निवेश करने को तैयार है. हम सिल्क रोड की बहुत परवाह करते हैं.'


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द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के रूस के साथ संबंधों के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने ला रिपब्लिका को बताया कि मॉस्को के साथ संबंध मुख्य रूप से राजनीतिक और आर्थिक हैं. रूस हमारे लिए और हमारे साथ एक अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए स्थितियां बनाने के लिए मध्यस्थता करना जारी रख रहा है.


तालिबान ने सोमवार को अंतिम अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ समाप्त हुए बड़े पैमाने पर एयरलिफ्ट द्वारा छोड़े गए किसी भी विदेशियों या अफगानों के लिए देश से सुरक्षित मार्ग की इजाज़त देने का वादा किया था. बावजूद इसके काबुल हवाई अड्डा गुरुवार को बंद रहा.


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रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के अफगानिस्तान में कुछ ही घंटों के भीतर एक नई सरकार की घोषणा करने की उम्मीद है. देश में अराजकता गहरा गई है और सहायता विशेषज्ञों ने आर्थिक पतन की चेतावनी दी है.


गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान राज के बाद दुनिया के दूसरे देशों से आने वाली सहायता राशि या तो कम या बंद हो गई है. मनी ट्रांसफर जैसी सुविधा भी बंद हो गई है. लोगों को मजबूरी में अपने गहने बेचने पड़ रहे हैं. अमेरिका ने अफगानिस्तान के लिए अपनी तिजोरी में ताला जड़ दिया है, वहीं आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक ने भी उसकी वित्तीय सहायता को रोक दिया है.


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