केंद्रीय मंत्री ने धर्मांतरण के आरोपों को नकारा; प्रोपगैंडा फैलाने वालों को बताया एहसान फरामोश!
केंद्रीय माइनॉरिटी अफेयर्स राज्य मंत्री जॉन बरला ने पश्चिम बंगाल में एक सभा को खिताब करते हुए कहा कि देश में ईसाई धर्मोंं के योगदान का नकारा गया है, और उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया गया. उल्टा उनपर धर्मांतरण का आरोप लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ईसाई देश में किसी का जबरन धर्मांतरण नहीं करा रहे हैं.
कोलकाताः पश्चिम बंगाल के कोलकाता में शुक्रवार को एक शांति रैली को खिताब करते हुए केंद्रीय माइनॉरिटी अफेयर्स राज्य मंत्री बरला ने कहा कि शिक्षा और परोपकार के क्षेत्र में योगदान के बावजूद ईसाइयों को देश में उनकी उचित मान्यता नहीं मिली है. भाजपा नेता ने कहा कि ईसाई स्कूल देश में हर जगह पाए जा सकते हैं. महात्मा गांधी से लेकर फिल्मस्टार शाहरुख खान तक कई हस्तियों ने ऐसे संस्थानों में स्कूली शिक्षा हासिल की है. इसके अलावा ईसाईयों ने स्वास्थ्य केंद्र और वृद्धाश्रम बनवाए हैं, फिर भी, इतने योगदान के बाद, कोई सम्मान नहीं है. ऐसे इल्जाम क्यों लगते हैं कि हम लोगों को धर्मांतरित करते हैं? नहीं, हम लोगों को धर्मांतरित नहीं करते हैं.
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री के अपनी ही पार्टी के नेता और उससे जुड़े संगठन देशभर में ईसाई मशनरियों पर जबरन और लालच देकर हिंदुओं और आदिवासियों का धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाते रहे हैं.
हमने क्या दिया है और बदले में हमें क्या मिला ?
बरला, जो खुद एक ईसाई हैं, ने कहा, “हमें शांति के अलावा और कुछ नहीं चाहिए. देश के ईसाईयों को एकजुट होने का वक्त आ गया है. समुदाय के सदस्यों को छत्तीसगढ़ की तरह अन्याय का सामना नहीं करना चाहिए.’’ पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार से सांसद ने कहा, अगर हम दुनिया को (हमारे योगदान के बारे में) नहीं बताएंगे, तो इसके बदले हमारी पिटाई होगी." बरला ने कहा, “जब से मैं मंत्री बना, अल्पसंख्यक मंत्री के रूप में, ईसाई के रूप में, मैंने सोचा - देश के लिए हमारा क्या योगदान है? हमने क्या दिया है और बदले में हमें क्या मिला है? आजादी से पहले और बाद में हमारे योगदान के लिए हमें क्या सम्मान मिला?'
धर्मांतरण के लिए ईसाइयों को दोषी क्यों ठहराया जाता है
बरला ने कहा कि देश के दूर-दराज इलाकों में ईसाई स्कूल हैं, जहां कोई सरकारी संस्थान नहीं है. बरला ने दावा किया कि स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी, राजनेता लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, स्मृति ईरानी, जेपी नड्डा, ’पवार परिवार’ और फिल्मस्टार शाहरुख खान जैसी मशहूर हस्तियां सभी ईसाई स्कूलों में पढ़ी हैं. बराला ने कहा, “ईसाई लोग सरकार के खिलाफ नहीं हैं. व्यापारी और राजनेता अपने बच्चों को ईसाई स्कूलों में भेजते हैं. फिर हम क्यों पिटेंगे? धर्मांतरण के लिए ईसाइयों को दोषी क्यों ठहराया जाता है?“
हमें सरकार से कोई सम्मान नहीं मिला
मंत्री ने शांति रैली में कहा, “गलती यह है कि हम देश के लिए अपना योगदान नहीं दिखा रहे हैं. इसलिए हमें सरकार से कोई सम्मान नहीं मिला." बराला ने कहा, “इस तरह की रैलियां अगले साल पूरे भारत में आयोजित की जाएंगी ताकि राष्ट्र के लिए ईसाइयों के योगदान को दिखाया जा सके." बरला ने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने अल्पसंख्यक लोगों के विकास के लिए कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया.
अल्पसंख्यकों के योगदान को उजागर करेगा ईसाई समाज
बरला ने कहा कि भाजपा छत्तीसगढ़ चर्च हिंसा में शामिल नहीं थी और यह आदिवासियों के दो समूहों के बीच थी. 2 जनवरी को, छत्तीसगढ़ के नारायणपुर शहर में एक कथित धर्म परिवर्तन के संबंध में आदिवासियों के विरोध के दौरान एक चर्च में तोड़फोड़ की गई और एक आईपीएस अफसर सहित छह पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया और घायल कर दिया गया.
बंगाल क्रिश्चियन काउंसिल के अध्यक्ष और कलकत्ता के बिशप, सीएनआई परितोष कैनिंग ने कहा कि मंत्री को परिषद के एक भाग के रूप में रैली में आमंत्रित किया गया था. कैनिंग ने कहा, “हमारा मकसद पश्चिम बंगाल के सभी ईसाइयों को एक मंच पर लाना है. हम देश, राज्य और समाज के निर्माण में अन्य अल्पसंख्यकों- मुस्लिम, बौद्ध, सिख आदि के योगदान को भी उजागर करना चाहते हैं.’’
Zee Salaam