Ladakh Shutdown: लद्दाख के लोग इन दिनों सड़कों पर हैं. उनकी मांग है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए. लोग अपनी मांगों के सपोर्ट में विरोध प्ररदर्शन कर रहे हैं. भीषण सर्दी में लोग अपने घरों से निकले हैं. विरोध प्रदर्शन की वजह से पूरा लद्दाख बंद हो गया है. लोग केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनूसूची के तहत राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही वह संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. यह विरोध प्रदर्शन 'लेह अपेक्स बॉडी' और 'करगि डेमोक्रेटिक एलायंस' की तरफ किए जा रहे हैं.


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यह हैं मांगें
खबरों के मुताबिक भीषण सर्दी में लोग घरों से बाहर निकले और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने अपनी मांगों के सपोर्ट में नारे भी लगाए. उन्होंने संविधान की छठी अनूसूची लागू करने के लिए और लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग संसद सीटों की मांग की. लोगों ने नौकरियों में आरक्षण की भी मांग की.


सरकार ने गठित की समिति
विरोध प्रदर्शन होने से पहले सरकार ने लेह अपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की थी. सरकार ने जल्द ही दोनों से दूसरे दौर की बात करने के लिए कहा है. केंद्र सरकार ने लद्दाख का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक समिति का गठन किया है. इस समिति के अध्यक्ष राज्य मंत्री नित्यानंद राय हैं.


नौकरशाही का है राज
खबरों के मुताबिक प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह केंद्र शासित प्रदेश में नहीं रह सकते, जहां पर सिर्फ नौकरशाही हो. उनके मुताबित पूर्ण राज्य ही उनकी मांगों को पूरा कर सकता है. यहां वह राज्य पर शासन करने के लिए अपने प्रतिनिधियों को चुन सकते हैं. पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने लद्दाख में एक बैठक की जिसमें सरकार ने लेह और करगिल दोनों से अपनी मांगे रखने के लिए कहा. 


हटाया गया राज्य का दर्जा
ख्याल रहे कि साल 2019 में जब 370 हटाया गया था, तब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. जम्मू व कश्मीर राज्य को अलग कर केंद्र शासित प्रदेशों में बदला गया था. लेकिन जल्द ही लेह व करगिल के लोग विरोध करने लगे. उनका कहना है कि वह राजनीति रूप से बेसहारा हैं. इसलिए यहां के लोग एक साथ खड़े हो गए हैं. पिछले दो सालों में यहां के लोगों ने कई विरोध प्रदर्शन किए हैं.