जयपुरः राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस द्वारा मुख्‍यमंत्री बदले जाने के प्रस्ताव के बाद जारी सियासी उथल-पुथल के बाद सोमवार को देर शाम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दस जनपथ आवास पर कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल, मल्लिकाजुर्न खड़गे, कमलनाथ, अजय माकन और प्रियंका गांधी पहुंच गई हैं. सभी नेता राजस्थान संकट से उबरने की तरकीब पर मंथन कर रहे हैं. इसी बीच कांग्रेस के कई विधायकों व मंत्रियों ने पार्टी आलाकमान में निष्ठा जताई है. हालांकि उन्‍होंने कहा है कि राज्य में किसी भी बदलाव से पहले उनकी बात सुनी जाए.

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बागियों को छोड़कर जिसे चाहें मुख्यमंत्री बना दें 
राजस्थान विधानसभा में मुख्‍य सचेतक, मंत्री महेश जोशी ने कहा कि यह कहना गलत है कि हम आलाकमान के प्रतिनिधियों से नहीं मिले. फर्क इतना है कि 85-90 लोग हम कह रहे हैं कि आप जाकर हमारी बात पहुंचा दीजिए.’’ जोशी ने कहा, ‘‘हमने जाकर पर्यवेक्षकों से कहा कि विधायकों की यह मर्जी है कि जिन लोगों ने सरकार को कमजोर करने, गिराने की कोशिश की, जिन्‍होंने पहले अनुशासनहीनता की, जिन्‍होंने पहले बगावत की उनमें से किसी को छोड़कर पार्टी आलाकमान जिस किसी को भी चाहे मुख्‍यमंत्री बनाए. यह हमारी मांग थी.’’ हम पार्टी व आलाकाकमान के प्रति पूरी तरह से निष्‍ठावान हैं. 

गहलोत समर्थक नहीं चाहते हैं नेतृत्व में बदलाव 
उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक इतवार की रात मुख्‍यमंत्री निवास पर होनी थी, लेकिन गहलोत के वफादार विधायक इसमें नहीं आए. इन विधायकों ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक की और फिर वहां से विधानसभा अध्‍यक्ष डॉ. सीपी जोशी से मिलने गए और उन्‍हें अपने इस्‍तीफे सौंप दिए. धारीवाल यह कह रहे हैं कि अगर अशोक गहलोत को बदला गया तो कांग्रेस को राज्य में नुकसान होगा.

पूरे मामले में खामोश हैं पायलट समर्थक विधायक 
वहीं, कांग्रेस नेता सचिन पायलट के वफादारों का समूह राज्य के पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए है, और मीडिया के सामने ज्यादा बोलने से परहेज कर रहा हैं. पायलट के वफादार साथी खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा, ‘‘हम आलाकमान के साथ हैं. जो भी फैसला होगा वह स्वीकार होगा. हमने कल भी यही कहा था.’’ व‍धियक दिव्‍या मदेरणा ने कहा कि वह ‘व्‍यक्ति पूजा’ नहीं, सिर्फ ‘कांग्रेस की पूजा’ करती हैं.’’ 
 


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