कॉलेजियम और केंद्र सरकार के दरमियान जजों की नियुक्तियों को लेकर मामला चल रहै है. इसी क्रम में नया नाम सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर का आया है. ग्रोवर ने तमाम वकील और जजों से अपील की है कि वह न्यायपालिका के साथ खड़े हों. 


कॉलेजियम नहीं कर रहा सपोर्ट


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एक रिपोर्ट के मुताबिक "बार को साफ रुख अपनाना चाहिए. अगर बार मजबूत नहीं है, तो न्यायपालिका के मजबूत होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है. बार की तरफ से सपोर्ट नहीं मिल रहा है."


आजादी खतरे में हैं


आनंद ग्रोवर का मानना है कि "मौजूदा वक्त में इंसाफ, समानता और आजादी खतरे में है. संवैधानिक मूल्य खतरे में हैं. वह कहते हैं, यह एक बहुत खतरनाक हालत है. आपातकाल के दौरान न्यायपालिका ने दम तोड़ दिया था लेकिन आज हालत ज्यादा खराब है."


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अदालत से मजबूत हुईं सरकारें


ग्रोवर के मुताबिक "ऐतिहासिक रूप से मजबूत सरकार की पैदाइश उदय अदालत और अदालती आजादी की कीमत पर हुआ है. ऐसा सिर्फ भारत में नहीं हुआ है. दुनिया भर की यही हालत है. अदलिया की सियासत बढ़ी है.


अल्पसंख्यकों को किया जा रहा टार्गेट


आनंद ग्रोवर के मुताबिक "देश में मजहबी अल्पसंख्यकों को टारगेट किया जा रहा है. सिस्टमैटिक तरीके से उनके साथ हिंसा और भेदभाव किया जा रहा है. मुस्लिमों की लिंचिंग में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए आनंद ग्रोवर ने कहा है कि मुसलमानों की लिंचिंग एक अहम मुद्दा है. मुसलमानों की लिंचिंग में पुलिस की मिलीभगत होती है. घटनाओं के बाद उनकी जवाबदेही तय नहीं होती है. अल्पसंख्यक अपने ही देश में दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह महसूस करते हैं"


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