पूर्व MP आनंद मोहन की बढ़ सकती है परेशानी! SC सजा में छूट को चुनौती देने वाली याचिका पर इस दिन करेगा सुनवाई !
Bihar News: आनंद मोहन को 14 साल से ज्यादा सजा काटने के बाद पिछले साल अप्रैल महीने में रिहा कर दिया गया था. बिहार जेल मेनुअल में राज्य सरकार ने एमेंडमेट कर समय से पहले रिहा कर दिया. अब दिवंगत IAS की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुप्रीं कोर्ट सुनवाई करेगा.
IAS G. Krishnaiah Murderd Case: सुप्रीम कोर्ट गोपालगंज जिले के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की 1994 में हुई हत्या के मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन को दी गई सजा में छूट को चुनौती देने वाली पिटिशन पर सोमवार को सुनवाई करने वाला है. पूर्व आनंद मोहन IAS कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे थे. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच दिवंगत अफसर की बीवी उमा कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई करेगी.
आनंद मोहन को 14 साल से ज्यादा वक्त तक सजा काटने के बाद पिछले साल अप्रैल महीने में जेल से रिहा कर दिया था. वह बिहार के सहरसा जेल में थे. बिहार जेल मेनुअल में राज्य सरकार ने एमेंडमेट कर समय से पहले रिहा कर दिया. ऐसा दावा किया जा रहा है कि सरकार ने राजपूत कम्युनिटी से आने वाले आनंद मोहन की रिहाई के लिए बिहार जेल मेनुअल में संशोधन किया.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि पूर्व सांसद को निचली अदालत ने 5 अक्टूबर, 2007 को मौत की सजा सुनाई थी.हालांकि, इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने 10 दिसंबर, 2008 को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था. तेलंगाना के रहने वाले IAS कृष्णैया की साल 1994 में भीड़ ने पीटकर हत्या कर दी थी. यह हादसा उस वक्त हुई थी, जब उनकी गाड़ी ने मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शव यात्रा से आगे निकलने की कोशिश की थी.आनंद मोहन उस वक्त विधायक और वह इस शव यात्रा की अगुआई कर रहे थे और उनपर भीड़ को उकसाने का इल्जाम था.
बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि आनंद मोहन समेत कुल 97 दोषियों को एक साथ वक्त से पहले रिहा किया गया था. पिटीशनर ने दलील दी है कि आनंद मोहन को सुनाई गई उम्र कैद की सजा का मतलब मौत होने तक कैद है और इसकी व्याख्या सिर्फ 14 सालों की जेल के रूप में नहीं की जा सकती है. कृष्णैया की बीवी ने अपनी याचिका में कहा है, ‘‘मौत की सजा के विकल्प के रूप में जब आजीवन कारावास की सजा दी जाती है, तो उसे कोर्ट के निर्देशानुसार सख्ती से लागू किया जाना होता है और यह सजा माफी दिए जाने से अलग होगी."