नई दिल्लीः कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर (second vave of covid) के दौरान अगर सही रणनीतियां अपनाई जाती तो लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती थी. स्वास्थ्य मामलों से संबंधित एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट (Parliamentary committee report) में यह बात कही है. इसके साथ ही समिति ने कोविड की दूसरी लहर में हालात का सही-सही अंदाजा नहीं लगा पाने के लिए सरकार की तीखी आलोचना की है. रिपोर्ट में कहा गया है, “समिति इस बात से नाराज है कि कई राज्य दूसरी लहर के दौरान पैदा हुईं अनिश्चितताओं और आपात स्वास्थ्य स्थितियों से निपटने में पूरी तरह नाकाम रहे, जिसकी वजह से पांच लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई.” 

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इन कारणों से बिगड़े हालात 
समिति ने सोमवार को राज्यसभा में पेश 137वीं रिपोर्ट में कहा कि दूसरी लहर में निश्चित तौर पर संक्रमण और मौत में वृद्धि, अस्पतालों में ऑक्सीजन और बिस्तरों की कमी, दवाओं और दूसरे महत्वपूर्ण पदार्थों की आपूर्ति का अभाव, जरूरी स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में व्यवधान, ऑक्सीजन सिलेंडर व दवाओं की जमाखोरी और कालाबाजारी से हालात और बिगड़ गए. रिपोर्ट में कहा गया है, “समिति का विचार है कि अगर सरकार प्रारंभिक चरण में ही वायरस के स्वरूप की पहचान कर पाती और रोकथाम रणनीति को लागू किया जाता तो नतीजे कम गंभीर होते और कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी.”

ऑक्सीजन की कमी बनी मौत का सबसे बड़ा कारण 
समिति ने पाया कि भारत दुनिया में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल रहा. देश की विशाल आबादी की वजह से महामारी के दौरान बड़ी चुनौती पेश आई. संसदीय समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को, कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ‘ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई मौत’ के मामलों की राज्यों के समन्वय से लेखा-परीक्षा करने की सिफारिश की है. समिति ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि वह दुनिया के दूसरे देशों से कोविड-19 की उत्पत्ति की पहचान करने के लिए और ज्यादा अनुसंधान और अध्ययन करने और इसके लिए जिम्मेदार पाए जाने वालों को दंडित करने की अपील करे.


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