CUET के नतीजों पर उठ रहे सवाल; छात्र बोले- टूट गए सपने, हम बर्बाद हो गए !
CUET Students disappointed with their scores: संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के (Entrance Test CUET-UG) नतीजे आने के बाद उसके ‘सामान्यकृत स्कोर’ ( normalised scores) प्रणाली को लेकर छात्रों में बेहद नाराजगी है. सीयूईटी को लेकर छात्र पूछ रहे हैं सवाल.
नई दिल्लीः संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) के नतीजों और कॉलेजों में दाखिला प्रक्रिया को लेकर अस्पष्ट नीति ने छात्रों को भ्रम की स्थिति में डाल दिया है. इससे पहले इसकी एग्जाम में भी काफी अनियमितताएं सामने आई थी. परेशान हाल छात्रों कॉलेज के चयन को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. एक छात्रा सुरभि तिवारी ने कहा, ’’छात्रों को दाखिला प्रक्रिया के बारे में पता नहीं था, और उनमें से कुछ अपनी पसंद के बजाय स्थानीय कॉलेज में दाखिला कराने को मजबूर होंगे. सीयूईटी अपने आप में सबसे बड़ी आपदा है.’’
सभी सपनों को चकनाचूर कर दिया है
‘सामान्यकृत स्कोर’ में औसतन 88 पर्सेंटाइल मार्क्स हासिल करने वाली एक छात्रा श्राबनी सिंघा ने हैरानी जताई है कि क्या उन्हें मौजूदा पद्धति के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के किसी कॉलेज में दाखिला मिल सकता है. राजनीति विज्ञान में पूरे अंक हासिल करने का दावा करने वाले आर्य ने कहा कि ‘सामान्यकृत स्कोर’ के बाद उनका पर्सेंटाइल घटकर 88.9 फीसदी हो गया है. उन्होंने लिखा है, ‘‘मुझे दो बार एग्जाम देने पड़े क्योंकि मेरी एक परीक्षा रद्द कर दी गई थी. मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं ले पाऊंगा.’’ आर्य ने कहा कि सीयूईटी और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने ‘‘उनके सभी सपनों को चकनाचूर कर दिया है.’’
स्कोर ‘‘सामान्यीकरण के नाम पर’’ क्यों कम हो गया?
आर्य की तरह एक दूसरे स्टूडेंट रमनदीप सिंह ने सवाल किया है कि उनका स्कोर ‘‘सामान्यीकरण के नाम पर’’ क्यों कम हो गया? सिंह ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘मैंने बिजनेस स्टडीज में 200 में से 200 अंक हासिल किए लेकिन सामान्यीकरण के बाद यह घटकर 186 रह गया. कृपया मुझे बताएं कि मैं 100 पर्सेंटाइल हासिल करने के लिए क्या कर सकता था? मैंने पूरे दिन, पूरी रात पढ़ाई की और सामान्यीकरण प्रक्रिया में लगभग 50 अंक गंवा दिए.’’ सीयूईटी के नतीजों से नाखुश सुमति कपूर ने लिखा, ‘‘जब मैंने पहले अपनी उत्तर कुंजी की जांच की, तो यह दिखा रहा था कि तकरीबन मेरा कोई जवाब गलत नहीं था. मैंने इतना कम स्कोर कैसे किया?’’
कड़ी मेहनत अब कोई मायने नहीं रखती है
एक अन्य छात्र, भानु मालवलिया ने ‘सामान्यीकरण’ प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए नतीजों को अनुचित बताया है. मालवलिया ने लिखा, ‘‘यह किस तरह के नतीजे हैं? क्या इसे हम सामान्यीकरण कहते हैं? सामान्यीकरण के नाम पर सैकड़ों मार्क्स काटे गए हैं. क्या पहले चरण में होना हमारी गलती थी? हजारों छात्रों के सपने टूट गए हैं. हम न्याय चाहते हैं.’’ फारिया जहान ने दावा किया कि उसका स्कोर सामान्य होने के बाद 785 से घटकर 730 हो गया है. उन्होंने कहा, ‘’ नतीजों ने हमें यकीन दिलाया है कि कड़ी मेहनत अब कोई मायने नहीं रखती है. मैं बिल्कुल बर्बाद हो चुकी हूं.’’
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने क्या कहा ?
सीयूईटी के नतीजे घोषित होने के बाद, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि यूनिवर्सिटी मेधा सूची तैयार करने के लिए पर्सेंटाइल या मूल अंक का नहीं बल्कि प्रत्येक विषय में मिले मार्क्स पर आधारित सामान्य स्कोर का उपयोग करेंगे. कुमार ने बताया कि छात्रों को समान मौके देने के लिए स्कोर को सामान्य बनाया गया है, क्योंकि छात्रों ने एक ही विषय में अलग-अलग दिनों में और अलग-अलग पालियों में एग्जाम दिए हैं.
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