Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा इलाके के नायाब "नूरजहां" आम के अब गिने-चुने पेड़ बचे हैं. इससे फिक्रमंद होकर राज्य सरकार के एक सीनियर अफसर ने बृहस्पतिवार को हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट को निर्देश दिए हैं कि आम की इस खास किस्म को आने वाली पीढ़ियों के वास्ते बचाने के लिए इसके पेड़ों की तादाद बढ़ाने के वैज्ञानिक कोशिश तेज किए जाएं.


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अफरों ने बताया कि कट्ठीवाड़ा इलाके में "नूरजहां" आम के केवल 10 फलदार पेड़ बचे हैं. यह किस्म अपने भारी-भरकम आम के लिए मशहूर है. इंदौर डिविजन के कमिश्नर (राजस्व) दीपक सिंह ने  हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट की रिव्यू मीटिंग में कहा, "अलीराजपुर जिले में आम की मशहूर किस्म नूरजहां के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक कोशिश तेज होने चाहिए. यह चिंता का विषय है कि जिले में आम की इस किस्म के गिनती के पेड़ बचे हैं."


पूरे प्रदेश में बचे हैं सिर्फ 10 पेड़
उन्होंने हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट को निर्देश दिए कि "टिश्यू कल्चर" की मदद से "नूरजहां" के नए पौधे तैयार किए जाएं. अलीराजपुर के एग्रीकल्चरल साइंस के चीफ डॉ. आरके यादव ने बताया,"कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में नूरजहां आम के महज 10 फलदार पेड़ बचे हैं, लेकिन हम अलग-अलग जगहों पर कलम लगाकर अगले पांच सालों में इनकी तादाद बढ़ाकर 200 पर पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. हम इस किस्म को खत्म नहीं होने देंगे."


वजन में हुई गिरावट
उन्होंने आगे बताया, "कुछ दशक पहले "नूरजहां" आम का वजन 4.5 किलोग्राम तक हुआ करता था, जो अब घटकर 3.5 Kg से लेकर 3.8 kg के बीच रह गया है."


किसान ने बताया
वहीं, कट्ठीवाड़ा के रहने वाले आम उत्पादक शिवराज सिंह जाधव ने बताया कि अब मेरे बगीचे इस नूरजहां आम के मात्र तीन पेड़ बचे हैं. उन्होंने कहा, "इस बार नूरजहां की पैदावार बहुत कम रही है. मेरे बाग में इसके तीन पेड़ों में टोटल 20 फल लगे हैं. बेमौसम बारिश और आंधी से आम की फसल को इस बार काफी नुकसान हुआ है." उन्होंने बताया कि पिछले साल उनके बाग में "नूरजहां" के सबसे भारी फल का वेट करीब 3.8 Kg रहा था और इस एक फल को उन्होंने 2,000 रुपये में बेचा था.


 जाधव ने आगे बताया कि "नूरजहां" के पेड़ों पर जनवरी से मंजरी आने शुरू होते हैं और इसके फल जून तक पककर बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं.