E abubakar: गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व अध्यक्ष ई. अबुबकर को ख़राब सेहत की बुनियाद पर दायर ज़मानत अर्ज़ी वापस लेने की अनुमति दे दी. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की बैंच ने 70 साल के अबुबकर को राहत के लिए निचली अदालत का दरवाज़ा खटखटाने की इजाज़त दी. पीएफआई के पूर्व अध्यक्ष की तरफ़ से पेश वकील अदित पुजारी ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) द्वारा पहले ही मामले में चार्टशीट दाख़िल किए जाने का हवाला देते हुए हाईकोर्ट से याचिका वापस लेने और लोअर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता देने की अपील की.


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अर्ज़ी वापस लेने और निचली अदालत का रुख़ करने की परमिशन देते हुए अदालत ने कहा, "हमने इस मामले पर कोई राय व्यक्त नहीं की है". सुनवाई के दौरान, एनआईए के वकील ने कहा कि अबुबकर को सिर्फ़ मेडिकल की बुनियाद पर रिहा नहीं किया जा सकता है और गुण-दोष पर बहस होनी चाहिए. अबुबकर को पिछले साल पीएफआई पर प्रतिबंध लगने के बाद एनआईए ने गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में है. अबुबकर के वकील ने पहले कहा था कि उन्हें कैंसर है. वकील ने दावा किया था कि वह बेहद दर्द में थे और उसे तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता थी.



पिछले साल अबुबकर ने हाईकोर्ट के सामने एक अपील दायर करके निचली अदालत के उस आदेश को चैलेंज दिया था, जिसमें उसे मेडिकल की बुनियाद पर रिहा करने से इनकार कर दिया गया था. अबुबकर के वकील ने पूर्व में कहा था कि अबुबकर  को कैंसर है और वह पार्किंसंस रोग से भी पीड़ित है इसलिए उन्हें उसे फौरी तौर पर मेडिकल निगरानी की आवश्यकता है. फरवरी में, हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल के चिकित्सा अधीक्षक को हिदायात जारी करते हुए कहा था कि वह नियमित तौर पर अबूबकर के लिए  बेहतर उपचार की व्यवस्था करें.


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