Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि वह सरकार के ई-पोर्ट पर ऐसी सुविधा दें कि मुसलमान अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन करा सकें. दिल्ली हाई कोर्ट के जज संजीव नरूला ने दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी को मुस्लिम कानून के तहत होने वाले विवाहों के ऑनलाइन पंजीकरण के कार्यान्वयन की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने का निर्देश दिया.


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पहले भी दिया आदेश
दिल्ली सरकार ने एक दूसरे केस में इसी का आदेश 7 जुलाई को भी दिया था. लेकिन मौजूदा केस के दौरान यह पाया गया है कि दिल्ली सरकार ने इस मामले को हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. इसके बाद यह आदेश दिया गया कि "चूंकि प्रतिवादियों ने इस फैसले को लागू करने में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, इसलिए यह निर्देश दिया जाता है कि मुख्य सचिव, जीएनसीटीडी, व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर गौर करेंगे ताकि इस फैसले का अनुपालन किया जा सके."


शिया शादी का मामला
मौजूदा केस में एक शिया कपल अपनी शादी शरिया कानून के तहत की लेकिन गलती से उन्होंने अपनी दिल्ली सरकार के ऑनलाइन मैरिज पोर्टल पर स्पेशल मैरिज एक्ट में रजिस्टर कर दिया. कपल का इल्जाम है कि उनसे यह गलती इसलिए हुई क्योंकि दिल्ली सरकार के ऑनलाइन मैरिज पोर्टल पर मुस्लिम शादी को रजिस्टर करने के लिए कोई भी ऑपशन नहीं है. 


वकील की दलील
कपल ने बताया कि पोर्टल पर सिर्फ दो ही ऑपशन आते हैं. एक हिंदू मैरिज एक्ट दूसरा स्पेशल मैरिज एक्ट. मुस्लिम कपल की तरफ से मौजूद वकील सुफियान सिद्दीकी ने दलील दी कि दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 के तहत ऑफलाइन विकल्प की गैरमौजूदगी ने याचिकाकर्ताओं को प्रभावी रूप से एक वैधानिक व्यवस्था में धकेल दिया है, जो उनकी धार्मिक मान्यताओं से अलग है.


रद्द हुई शादी
वैवाहिक कलह की वजह से, जोड़े ने एसएमए के तहत गलत पंजीकरण को रद्द करने के साथ-साथ मुस्लिम कानून के तहत अपनी शादी को रद्द करने की मांग की. न्यायालय ने अनुरोध स्वीकार कर लिया और उनकी शादी को रद्द कर दिया. एकल न्यायाधीश ने आदेश दिया, "राजस्व विभाग, जीएनसीटीडी द्वारा जारी 15 मई, 2021 का पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द किया जाता है. तदनुसार, प्रतिवादी संख्या 2 अपने रिकॉर्ड में उचित बदलाव करेगा."