Jamia Millia Islamia Riots: साल 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुए दंगों की जांच को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा है. हाई कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार इन दंगों की जांच पुलिस से लेकर आज़ाद एजेंसी को सौंपने की मांग की है और एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. दिल्ली हाई कोर्ट में छात्रों के खिलाफ जांच ट्रांसफर करने और पुलिस अफसरों के खिलाफ उनकी शिकायतों पर दाखिल एक अर्ज़ी पर सुनवाई चल रही थी.


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आवेदन में नबिला हसन नामक एक छात्रा द्वारा किया गया अनुरोध भी शामिल है, जिसमें विभूति नारायण राय, विक्रम चंद गोयल, आर.एम.एस. बराड़ और कमलेंद्र प्रसाद में से किसी के नेतृत्व में एसआईटी गठित करने की मांग की गई है।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की खंडपीठ अब 13 दिसंबर को इस मामले पर विचार करेगी।


यह मामला 15 दिसंबर 2019 का है. जब जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के खिलाफ स्टूडेंट्स के प्रोटेस्ट के दौरान भड़की हिंसा से जुड़ा है. अर्जी दाखिल करने वालों में से एक की तरफ से सीनियर वकील कॉलिन गोंसाल्विस ने कहा कि इस मामले को पहले एक दूसरी बेंच के ज़रिए निपटाया जा रहा था. उन्होंने तर्क दिया कि इस मामले को 2.5-3 साल से नहीं उठाया गया है.


गोंजाल्विस के मुताबिक दिसंबर 2019 में CAA और एनआरसी के खिलाफ पार्लियामेंट तक पुरअम्न तरीके मार्च निकालने के लिए छात्र जामिया के गेट पर इकट्ठा हुए थे. हालांकि, उन्हें बताया गया कि वे पुर अम्न तरीके से मार्च भी नहीं कर सकते और बाद में उन पर बेरहमी के साथ हमला किया गया. उन्होंने कहा, "छात्रों की बेरहमी से पिटाई की गई. कई छात्रों की हड्डियां तोड़ दीं, एक को अंधा कर दिया और लड़कियों के हॉस्टल में घुस गए, जिन्हें बेरहमी से पीटा गया, आखिर में वे लाइब्रेरी में गए..."


पुलिस की तरफ से पेश हुए एडवोकेट रजत नायर ने कहा कि अर्ज़ी को अभी तक इजाज़त नहीं दी गई है, जिस पर अदालत ने कहा कि उसे पहले कार्यवाही का दायरा तय करना होगा. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि नोटिस जारी होने के बाद भी अर्जी पर कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है. बेंच ने कहा, "इसलिए हम आपको इस अर्जी पर जवाब दाखिल करने के लिए अगले सप्ताह तक का समय देंगे."


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