Quran Conference: शाबान का महीना चल रहा है और इस महीने में सभी मदारिस में दस्तारबंदी का एक दौर जारी है. इस सिलसिले में शुक्रवार की रात नई दिल्ली तुग़लक़ाबाद के जामिया अरबिया ग़रीब नवाज़ मदरसे में पैग़ाम-ए-क़ुरान कॉन्फ्रेंस और जश्ने दस्तार-ए-हिफ़्ज़ ए क़ुरान की नूरानी महफिल का इनेक़ाद किया गया. जिसमें क़ुरान के पैग़ाम को आम करते हुए हज़ारों की तादाद में मौजूद लोगों ने तीन हुफ्फाज़ को दस्तार से नवाज़ा. इस मौक़े पर जामिया अरबिया ग़रीब नवाज़ मदरसे के जनरल सेक्रेटरी अख़्तर खान ने अपने ख़्यालात का इज़हार किया. उन्होंने बताया कि जामिया अरबिया में यूपी, बिहार और बंगाल तक से बच्चे क़ुरान की तालीम हासिल के लिए आते हैं.


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शाबान के महीने में विभिन्न कार्यक्रम
वहीं इस मौक़े पर क़ुरान की तालीम को फरोग़ देने के सिलसिले में मदरसा जामिया अरबिया गरीब नवाज़ की इन कोशिशों की सराहना गया. कुरान कांफ्रेंस में जामिया हमदर्द से तशरीफ़ लाए प्रोफ़ेसर हज़रत ग़ुलाम याहिया अंजुम ने हुफ्फाज़ की हौसला अफ़ज़ाई करते हुए बताया कि मदरसों में इस तरह से बच्चों को क़ुरान हिफ्ज़ कराने से दुनिया में दीनी तालीम ज़िंदा रहती हैं और क़ुरान का फैज़ भी मुआशिरे में हुफ्फाज़ के ज़रिए हर इंसान को मिलता रहता है. शाबान के महीने में जलसे का आयोजन किया जाता है.



क़ुरान के संदेश को आम करने पर ज़ोर
इस मौक़े पर बताया गया कि मदरसे से अपनी तालीम पूरी करने के बाद छात्र क़ौम और मिल्लत की ख़िदमत करेंगे. यहीं वजह है कि हिन्दुस्तान में दीनी मदारिस में क़ुरान की तालीम पर बहुत ज़ोर दिया जाता है.  पैग़ाम-ए-क़ुरान कॉन्फ्रेंस के मौक़े पर बताया कि पाक किताब के संदेशों को हर घर तक पहु्ंचाना हमारा मक़सद है. साथ ही ये भी बताया गया कि कु़रान एक ऐसी किताब है कि उससे ज़िंदगी की सच्चाई पता चलता है.
कु़रान के ज़रिए लोगों को अमन-चैन, प्यार, इत्तेहाद और ज़िंदगी जीने का तरीक़ा सिखाने के लिए उसके संदेशों को लोगों तक पहुंचाया बहुत ज़रूरी है. 


Report- Changez Ayyuby


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