Delhi Police on ​​Umar Khalid: दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में दूसरे दिन यानी 9 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इस दौरान पुलिस ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी कि उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य के भाषणों में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए)-राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), बाबरी मस्जिद, ट्रिपल तलाक और कश्मीर का जिक्र होने के बाद भय का माहौल पैदा हो गया.


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दिल्ली पुलिस ने जमानत का किया विरोध
जस्टिस नवीन चावला और न्यायमूर्ति शलिंदर कौर के समक्ष पुलिस ने उनकी जमानत याचिकाओं का विरोध किया और फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा से संबंधित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में अपनी दलीलें रखीं. विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने कहा, मीरान (हैदर), शरजील इमाम, खालिद सैफी और उमर खालिद के भाषणों में एक समान अवधारणा है. सभी एक ही मुद्दे पर बात कर रहे हैं और उन्होंने सीएए-एनआरसी, बाबरी, ट्रिपल तलाक और कश्मीर के बारे में बात करके लोगों में डर की भावना पैदा की.


उमर खालिद पर लगा गंभीर इल्जाम
उन्होंने कहा कि उमर खालिद ने अमरावती में एक 'आपत्तिजनक भाषण' दिया, जो 'वायरल' हो गया. प्रसाद ने आरोप लगाया कि राजधानी में हिंसा भड़कने के समय उमर खालिद किसी भी इल्जाम से बचने के लिए जानबूझकर दिल्ली से बाहर यात्रा कर रहा था, फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों के दौरान 700 लोग घायल हुए थे. सीएए और एनआरसी के विरोध में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की थी.


 एसपीपी प्रसाद ने कई गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए साबित किया कि केवल विरोध स्थलों को व्यवस्थित करने वाले आरोपी व्यक्ति निर्दोष नहीं थे, बल्कि उन्होंने 'व्हाट्सएप' में 'समूहों' के माध्यम से हिंसा फैलाने की योजना बनाई थी, जिसके तहत दंगों से संबंधित 751 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं. उन्होंने कहा कि कुछ आरोपियों ने फरवरी 2020 और 13 दिसंबर, 2019 की हिंसा में भूमिका निभाई थी.


21 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी. शरजील, गुलफिशा फातिमा और खालिद सैफी सहित अन्य की जमानत याचिकाएं 2022 में दायर की गई थीं और समय-समय पर विभिन्न पीठों द्वारा सुनवाई की गई थी. अक्टूबर 2022 में हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिका खारिज करने के बाद खालिद ने जमानत के लिए 2024 में दूसरी बार हाईकोर्ट का रुख किया.