Parliament Security breach case: दिल्ली पुलिस ने आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मांग की
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में गिरफ्तार हुए सभी आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट से अनुमति मांगी है. अदालत ने कुछ आरोपियों के लिए कानूनी सहायता वकील की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए मामले को 2 जनवरी, 2024 तक के लिए स्थगित कर दिया.
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दाखिल कर संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में गिरफ्तार सभी आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की इजाजत मांगी है. इसे में आरोपियों का प्रतिनिधित्व करने वाले कानूनी सहायक वकील (अदालत द्वारा नियुक्त वकील) उपस्थित न होने के कारण अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. हरदीप कौर ने मामले को 2 जनवरी, 2024 के लिए स्थगित कर दिया.याचिका पर सुनवाई के दौरान सभी छह गिरफ्तार आरोपियों को भी कोर्ट में पेश किया गया था.
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए पब्लिक प्रोसिक्यूटर अखंड प्रताप सिंह का कहना था कि इस सुनियोजित हमले के पीछे बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए गहन जांच की आवश्यकता है.पुलिस ने हमले के पीछे के वास्तविक मकसद और किसी अन्य दुश्मन देश के साथ-साथ आतंकवादी संगठनों के साथ आरोपी के संबंध का पता लगाने के लिए हिरासत की रिमांड भी मांगी थी.
आपको बता दें 2001 के संसद आतंकवादी हमले की बरसी पर, एक बार फिर संसद पर ये सुरक्षा उल्लंघन हुआ. शून्यकाल के दौरान, दो लोग, सागर शर्मा और मनोरंजन डी, सार्वजनिक गैलरी से लोकसभा कक्ष में कूद गए, कनस्तरों से पीली गैस छोड़ी और सांसदों द्वारा काबू किए जाने से पहले सत्ता विरोधी नारे लगाए. एक अलग घटना में, दो प्रदर्शनकारियों, नीलम (42) और अमोल (25) ने समान गैस कनस्तरों के साथ संसद के बाहर प्रदर्शन किया. बाद में पुलिस ने इस मामले में दो और आरोपियों ललित झा और महेश कुमावत की साजिश में अहम भूमिका पाए जाने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. दिल्ली पुलिस ने हाल ही में पटियाला हाउस कोर्ट को यह भी सूचित किया है कि संसद सुरक्षा उल्लंघन की साजिश पिछले वर्षों से अधिक समय से चल रही थी और हाल ही में गिरफ्तार आरोपी महेश ने इस संबंध में विभिन्न शहरों में आयोजित सभी बैठकों में भाग लिया था. इतना ही नही पुलिस ने आगे दावा भी किया कि आरोपी देश में अराजकता पैदा करना चाहते थे ताकि वे सरकार को अपनी अन्यायपूर्ण और अवैध मांगों को पूरा करने के लिए मजबूर कर सकें.