Delhi Rape Case: नई दिल्लीः दिल्ली महिला आयोग की सद्र स्वाति मालीवाल ने सेंट स्टीफंस अस्पताल में मंगलवार को अपना धरना खत्म कर दिया. मालीवाल सोमवार की सुबह अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गई थीं कि उन्हें पीड़िता से मिलने से रोका जा रहा है. वह सोमवार को उस नाबालिग लड़की से मिलने अस्पताल पहुंची थीं, जिसके साथ दिल्ली सरकार के एक आला अफसर ने कथित तौर पर दुष्कर्म किया था. हालांकि, मंगलवार को धरना खत्म करने के बाद अस्पताल से पीड़िता से मिले बिना ही चली गईं. एक पुलिस अफसर ने कहा कि पीड़िता की मां किसी से मिलना नहीं चाहती, क्योंकि उसकी बेटी अस्पताल में अभी भी निगरानी में है.


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 एक 16 साल की बच्ची का दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कई महीनों तक रेप किया था. पीड़िता अस्पताल में भर्ती है और स्वाति मालिवाल उससे मिलने गई थीं.


स्वाति मालिवाल ने लगाया आरोप


स्वाति मालिवाल ने आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस मनमानी कर रही है और उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा है- उन्होंने मंगलवार को एक ट्वीट किया- "मिलने नहीं आती तो बोलते मिलने नहीं आई. मिलने आई तो मिलने नहीं दे रहे और बोल रहे हैं ड्रामा कर रही है. किस हद तक राजनीति गिर चुकी है कि नेताओं की सही को सही बोलने की क्षमता ही ख़त्म हो चुकी है. राजनीति करो, खूब करो पर बेटियों पे नहीं!"



बीते रोज यानी सोमवार को स्वाति मालिवाल पीड़िता से मिलने के लिए पहुंची थीं. लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया. जिसके बाद स्वाति मालिवाल ने कहा- “वे न तो मुझे लड़की से और न ही उसकी मां से मिलने दे रहे हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा कि पुलिस मुझसे क्या छिपाना चाहती है. मुझे बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष को लड़की की मां से मिलने की अनुमति दी गई थी. जब एनसीपीसीआर अध्यक्ष मां से मिल सकते हैं, तो डीसीडब्ल्यू प्रमुख को इसकी अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?'


क्या है मामला?


आरोप है कि महिला एवं बाल विकास विभाग में उप निदेशक प्रेमोदय खाखा ने एक नाबालिग लड़की का कई महीनों तक रेप किया गया. जब वह प्रेग्नेंट हो गई तो उनकी पत्नी ने उसे गर्भपात की गोली दी. इस मामले में पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. पीड़िता के पिता दिल्ली सरकार के एक अधिकारी थे और वह (पीड़िता) उनकी मौत के बाद आरोपी के घर बुराड़ी में 2020 से फरवरी 2021 के बीच रह रही थी. इसी दौरान आरोपी ने घटना को अंजाम दिया. मामला पेश आने के बाद दिल्ली सरकार ने अधिकारी को सस्पेंड कर दिया था.