Delhi Riots Sharjeel Imam: दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में दलील दी है कि 2019 के जामिया नगर हिंसा मामले में जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम और छात्र नेता आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर को आरोप मुक्त करने का निचली अदालत का हुक्म दोषपूर्ण और कानून के मुताबिक टिकाऊ नहीं है, क्योंकि आरोप तय करने के इस चरण में यह अदालत छोटी सुनवाई नहीं कर सकती.


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पुलिस ने कहा कि आरोप तय करने के चरण में निचली अदालत सबूत की विश्वसनीयता तय करके छोटी सुनवाई नहीं कर सकती है कि इससे दोषसिद्धि होगी या नहीं. जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा के सामने दलील पेश की गई, जिन्होंने ढाई घंटे की सुनवाई के बाद दिल्ली पुलिस और 11 लोगों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद पुलिस की अर्ज़ी पर फैसला महफूज़ रख लिया. इन लोगों को निचली अदालत ने आरोपमुक्त किया था. यह मामला दिसंबर 2019 में जामिया नगर इलाके में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच झड़प के बाद भड़की हिंसा से जुड़ा है.


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बता दें कि 4 फरवरी 2023 को अदालत ने शरजील इमाम के अलावा आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जर्गर, अबूजर, चंद्र यादव, शोएब, महमूद अनवर, कासिम समेत कुछ अन्य छात्रों को बरी कर दिया है. हालांकि शरजील इमाम को अभी जेल में ही रहना होगा. क्योंकि शरजील इमाम पर 2020 में पूर्वी दिल्ली दंगों के भी आरोप लगे हुए हैं. 


वहीं इस मामले में आसिफ इकबाल तन्हा ने बताया था कि अदालत की तरफ से कहा गया है कि पुलिस के आरोप बेबुनियाद और सबूत बेहद कमजोर नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं आसिफ इकबाल तन्हा ने यह भी बताया था कि जज साहब ने फैसला सुनाते वक्त कहा था कि ये सभी लोग शांति के साथ प्रोटेस्ट कर रहे थे और प्रोटेस्ट करना हर भारतीय का हक है. जज ने आगे कहा कि उस प्रदर्श को हिंसक बनाने में पुलिस का किरदार था. 


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