Delhi Riots 2020: साल 2020 फरवरी में हुए उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में अदालत ने पिता-पुत्र को रिहा करने का हुक्म दिया है. दिल्ली की एक अदालत ने सांप्रदायिक दंगों के दौरान आगजनी और दंगाई भीड़ का हिस्सा होने के आरोपों से एक शख्स और उसके बेटे को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. 


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एडीशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला आरोपी मिठन सिंह और उनके बेटे जॉनी कुमार के खिलाफ तीन शिकायतों की बुनियाद पर 2020 में हुए दंगों से संबंधित दो मामलों की सुनवाई कर रहे थे. अभियोजन पक्ष के मुताबिक दोनों आरोपी 25 फरवरी को खजूरी खास की गली नंबर-29 में एक विशेष समुदाय के लोगों की संपत्तियों की पहचान करने के बाद, शिकायतकर्ताओं समेत अन्य के घरों में आग लगाने वाली दंगाई भीड़ का हिस्सा थे.


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जज ने सोमवार को जारी अपने हुक्म में कहा, "दोनों आरोपियों को इस मामले में उन पर लगे सभी आरोपों से बरी किया जाता है." दोनों आदेशों के मुताबिक, जज ने अभियोजन पक्ष के गवाहों का हवाला देते हुए कहा कि वे दंगाई भीड़ का हिस्सा होने के रूप में दोनों आरोपियों की पहचान नहीं कर सके. खजूरी खास थाने में आरोपी पिता-पुत्र के खिलाफ दंगा समेत भारतीय दंड संहिता के तहत विभिन्न अपराधों के लिए आरोपपत्र दायर किया गया था. 


बता दें कि फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. 24 फरवरी 2020 को जाफराबाद और मौजपुर में हिंसक झड़पें हुईं जिसमें एक पुलिस अधिकारी और एक प्रदर्शनकारी मारे गए. सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने एक-दूसरे पर पथराव किया और घरों, वाहनों, दुकानों में तोड़फोड़ की. पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया.


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