Delhi Riots 2020: सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता ताहिर हुसैन के ख़िलाफ़ धनशोधन रोधी क़ानून के तहत इल्ज़ाम तय करने की प्रक्रिया में दख़ल देने करने से इनकार कर दिया. जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मित्थल की बेंच ने कहा कि इल्ज़ाम तय करने के चरण में अदालत तफ़सील में नहीं जा सकती, जिसे बाद के चरण में देखा जाएगा. बेंच ने कहा, मामला धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत इल्ज़ाम तय करने के मरहले में है, इसलिए हमें इस चरण में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नज़र नहीं आती.


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ताहिर की वकील ने किया विरोध
कोर्ट ने कहा कि यह साफ़ किया जाता है कि (निचली) अदालत इस अदालत द्वारा तयशुदा क़ानून पर अमल पालन करेगी. शीर्ष अदालत दिल्ली हाईकोर्ट के अहकामात के ख़िलाफ़ पूर्व पार्षद की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनकी अर्ज़ी को ख़ारिज कर दिया गया था. अर्ज़ी में पीएमएलए की धारा-3 (धनशोधन का अपराध) और धारा-4 (धनशोधन के अपराध के लिए सजा) के तहत इल्ज़ाम तय करने के निचली अदालत के आर्डर को चैलेंज दिया गया था. आरोपी की पैरवी करने वाली सीनियर वकील  मेनका गुरुस्वामी ने कोर्ट के फैसले की मुख़ालेफ़त करते हुए कहा कि वर्तमान मामला धनशोधन का नहीं, बल्कि सिर्फ़ "जीएसटी अपराध" का है.



फरवरी 2020 में भड़के थे दंगे
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शिकायत के मुताबिक़, ताहिर हुसैन ने फ़र्ज़ी बिल की बुनियाद पर फ़र्ज़ी एंट्री ऑपरेटर के माध्यम से अपने स्वामित्व या नियंत्रण वाली कंपनियों के बैंक खातों से धोखे से पैसे निकाले. ईडी की शिकायत में इल्ज़ाम लगाया गया है कि ताहिर हुसैन काले धन का अंतिम लाभार्थी था और फरवरी 2020 में दंगों के दौरान मुजरेमाना साज़िश के माध्यम से मिले धन का इस्तेमाल किया गया था. दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों के मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की अलग-अलग धाराओं के तहत ताहिर हुसैन और अन्य के ख़िलाफ़ तीन रिपोर्ट दर्ज की थीं. साल 2020 फरवरी में नार्थ-ईस्ट दिल्ली में दंगे भड़के थे, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी. ताहिर हुसैन पर फसाद भड़काने और उसकी फंडिंग के इल्ज़ाम के साथ ही कई और इल्ज़ाम लगे हैं.


 


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