Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज बिलकिस बानो के ज़रिए मुजरिमों की रिहाई के खिलाफ दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया है. जिस पर दिल्ली वुमन कमिशन की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट से भी इंसान नहीं मिलेगा तो कहां जाएंगे. 


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मालीवाल ने ट्वीट किया, "सुप्रीम कोर्ट ने बिल्कीस बानो की याचिका खारिज कर दी. बिल्कीस बानो के साथ 21 साल की उम्र में गैंग रेप किया गया था, उनके तीन साल के बेटे और परिवार के छह अन्य लोगों का कत्ल कर दिया गया था, लेकिन गुजरात सरकार ने सभी बलात्कारियों को आजाद कर दिया. अगर सुप्रीम कोर्ट से भी इंसाफ नहीं मिलेगा, तो लोग कहां जाएंगे?" 



बता दें कि बानो 2002 में गुजरात दंगों के दौरान गैंग रेप की शिकार हुई थीं और उनके परिवार के 7 मेंबर्स का कत्ल कर दिया गया था. अदालत ने बानो की उस अर्ज़ी को खारिज कर दिया है, जिसमें गैंग रेप 11 मुजरिमों की सजा माफ करने की अर्जी पर गुजरात सरकार से गौर करने के लिए कहने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के हुक्म की समीक्षा की अपील की गई थी. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने एडवोकेट शोभा गुप्ता के ज़रिए दाखिल की गई दाखिल की गई अर्ज़ी को खारिज कर दिया.


समीक्षा याचिका में बानो ने कहा कि गुजरात की 1992 की छूट नीति के बजाय महाराष्ट्र की छूट नीति को वर्तमान मामले में लागू किया जाना चाहिए क्योंकि ट्रायल महाराष्ट्र में हुआ था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुजरिमों में से एक, राधेश्याम भगवानदास शाह के ज़रिए दाखिल एक अर्ज़ी पर आया, जिसमें 1992 की नीति के तहत वक्त से पहले रिहाई के लिए उनकी अर्ज़ी पर गौर करने के लिए गुजरात को हिदायत देने की मांग की गई थी, जो उनकी सजा के समय मौजूद थी.


बानो ने 2002 के गुजरात दंगों में उसके साथ सामूहिक बलात्कार के दोषी 11 लोगों की रिहाई के खिलाफ एक अलग अर्ज़ी दाखिल की है जिसमें कहा है कि सभी मुजरिमों की रिहाई न सिर्फ उसके लिए, बल्कि बड़ी हो चुकी उसकी बेटियों व समाज के लिए एक झटके के सामान थी. बानो ने कहा कि पांच महीने की गर्भवती होने के बावजूद आरोपियों ने उसके साथ क्रूरता की हद को पार करते हुए गैंग रेप किया. ऐसे में उन्हें छोड़ना बेहद परेशान करने वाला फैसला है.


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