Swati Maliwal: मालिवाल के खिलाफ नियुक्तियों में गड़बड़ी के मामले में राऊज एवेन्यु कोर्ट ने आरोप तय किये हैं. कोर्ट ने स्वाति मालीवाल, प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहान मलिक के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के सेक्शन13 (1)डी, 13 (1)(2), 13 (2) और आपराधिक साजिश की धारा 120 बी के तहत  आरोप तय किये है. इन पर आरोप है कि  6 अगस्त 2015 से 1 अगस्त 2016 के बीच इन्होंने आयोग में ग़ैरकानूनी तरीके से अपने जानकार, आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की.


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अदालत ने कहा कि इस मामले में मुजरिमों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए मुनासिब सबूत मौजूद हैं. सिर्फ इसलिए कि आयोग सरकार को खाली पड़े पदों को भरने के लिए दबाव डाल रहा था और सरकार वक्त से नियुक्ति नहीं कर पाई, इसके चलते आयोग को यह हक नहीं मिल जाता कि वो मनमाने ढंग से लोगों की नियुक्ति करें. ये पूरा मामला दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा शुक्ला सिंह की एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत से जुड़ा है.


अदालत ने आरोप तय करते हुए अपने आदेश में कहा कि इस मामले में रखे गए तथ्य आरोपियो की भूमिका को लेकर संदेह पैदा करते है कि कैसे उन्होंने सारे नियम, अमल को ताक पर रखकर अपने जानकार लोगों को नियुक्ति दी. अगर ये मान भी लिया जाए कि दिल्ली महिला आयोग स्वायत्त संस्था है, तब भी उसे अपनी मनमर्जी से पोस्ट बनाने और नियमों को ताक पर रखकर अपने लोगों की उसमें जगह देने का हक नहीं है. ऐसी संस्था में परिवारवाद भी करप्शन की दूसरी शक्ल है. लिहाजा पहली नज़र में आरोपियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मामला बनता है.


इस मामले में शुरुआती जांच के बाद FIR दर्ज की गई. जांच के दौरान सामने आया कि 6 अगस्त 2015 से 1 अगस्त 2016 के बीच जिन 87 लोगों की नियुक्ति हुई, उनमें कम से कम सीधे तौर पर आम आदमी पार्टी से जुड़े थे. 


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