Dhar Voters Opinion: एमपी के धार की भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद कैम्पस में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की वैज्ञानिक छानबीन शुरू होते ही मध्ययुग के इस स्मारक का पुराना तनाजा सुर्खियों में लौट आया है. हिंदुओं की एक तंजीम की अपील पर एमपी हाईकोर्ट के हुक्म से शुरू हुआ एएसआई का यह सर्वे  एक महीने से ज्यादा समय से जारी है. हिंदू समाज भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम तबका 11वीं सदी की इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है. यह कैम्पस एएसआई द्वारा संरक्षित है.


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धार लोकसभा सीट पर चौथे फेज यानी 13 मई को होने वाली वोटिंग से पहले भोजशाला विवाद को लेकर सियासी बयानबाजी का सिलसिला जारी है. हालांकि, भोजशाला का मुद्दा चुनावी समीकरणों पर कितना असर डालेगा, इस सवाल पर धार शहर के वोटर्स की अलग-अलग राय है. मकामी अंजू मित्तल ने न्यूज एजेंसी को बताया कि, हमारे लिए भोजशाला का मामला कोई इंतेखाबी मुद्दा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विषय है. हम अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की तरह भोजशाला मसले का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं, भले ही यह समाधान किसी भी पक्ष के हक में हो. 


 


धार के एक और बाशिन्दे अजहर खान ने कहा कि, उन्हें नहीं लगता कि भोजशाला का मुद्दा लोकसभा इलेक्शन के नतीजे तय करने में फैसलाकुन साबित होगा. उन्होंने कहा, हम सिर्फ धार की तरक्की चाहते हैं. हम चाहते हैं कि हमारे शहर में आपसी भाईचारा कायम रहे. मकामी दुकानदार नुरू कुरैशी इत्तेफाक भोजशाला विवाद को इलेक्शन का एक बड़ा मुद्दा मानते हैं और उनका दावा है कि इससे एक पक्ष को चुनावी फायदा हासिल होगा. 'मास्टर ऑफ सोशल वर्क' की उपाधि हासिल कर चुके दुकानदार ने कहा कि, धार के कई पढ़े-लिखे नौजवानों के पास रोजगार नहीं है. धार के पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया के कारखानों के मुलाजमीन में यूपी, बिहार और अन्य सूबों के लोगों की तादाद ज्यादा है, जबकि मकामी नौजवान रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं.



बता दें कि, धार में बीजेपी अपना 10 साल पुराना कब्जा बरकरार रखने के लिए काफी कोशिश कर रही है, तो वहीं कांग्रेस के सामने बीजेपी से यह सीट छीनने का बड़ा चैलेंज है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है. भोजशाला को लेकर तनाजा शुरू होने के बाद ASI ने 7 अप्रैल 2003 को एक हुक्म जारी किया था. इस आदेश के मुताबिक, पिछले 21 साल से चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को हर मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की इजाजत है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है.



'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' नाम की तंजीम ने इस व्यवस्था को एमपी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में चुनौती दी है. संगठन की अर्जी पर हाईकोर्ट ने 11 मार्च को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को 6 हफ्ते के अंदर भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इसके बाद ASI ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वे शुरू किया, जो लगातार जारी है. एएसआई ने अपना सर्वे पूरा करने के लिए 8 हफ्तों की मोहलत मांगते हुए हाईकोर्ट में अर्जी दायर की है. इस अर्जी पर 29 अप्रैल को सुनवाई होने की उम्मीद है.