Diabetes: क्या होती है टाइप 1.5 डाइबिटीज़ और क्या है इसके लक्षण? जानें पूरी डिटेल
Diabetes: डाइबिटीज़ के बारे में जब बात होती है तो अकसर लोग टाइप-1 और टाइप-2 का जिक्र करते हैं, लेकिन क्या आपने टाइप 1.5 डाइबिटीज के बारे में सुना है? आइये आपको बताते हैं कि क्या होती है डायबिटीज 1.5?
Diabetes: आमतौर पर लोगों को टाइम-1 और टाइप 2 डाइबिटीज़ के बारे में पता होता है, लेकिन क्या आपने कभी टाइप 1.5 डाइबिटीज के बारे में सुना है? बता दें, इस डाइबिटीज में टाइप-1 और टाइप-2 दोनों के ही फीचर होते हैं. इसे समझने के लिए हम आपको आपको इसके लक्षण बताने वाले हैं, इसके साथ ही बताएंगे कि आखिर यह टाइप 1.5 डायबिटीज क्या होती है.
क्या होती है टाइप 1.5 डायबिटीज?
बता दें, वैसे तो तकरीबन 10 तरह की डायबिटीज होती हैं, लेकिन इनमें से सबसे कॉमन टाइप-1 और टाइप-2 डाइबिटीज हैं. टाइप-1 डाइबिटीज एक ऑटोइम्यून कंडीशन है, यानी इस कंडीशन में हमारी बॉडी में का इम्यून सिस्टम पैनक्रियाज़ के इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को डैमेज कर देता है. जिसकी वजह से या तो बेहद कम और या फि बिलकुल भी इंसुलिन नहीं बन पाता है.
हर रोज़ लेना होता है इंसुलिन
इंसुलिन खून से ग्लूकोज को हमारी सेल्स में ले जाने के लिए बेहद अहम है, ताकि इसका इस्तेमाल एनर्जी के लिए किया जा सके, यही वजह है कि टाइप 1 डाइबिटीज वाले लोगों को हर रोज इंसुलिन दवा की जरूरत होती है.
टाइप-2 डाइबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज़ कोई ऑटोइम्यून बीमारी नहीं है. बल्कि, यह तब होता है जब बॉडी की सेल्स समय के साथ इंसुलिन के प्रति रज़िस्टेंट हो जाती हैं, और पैनक्रियाज़ पर्याप्त इंसुलिन बनाने में सक्षम नहीं रह जाता. टाइप-2 डायबिटीज पेशेंट्स इंसुलिन बना पाते हैं और उनके शुगर लेवल को डाइट्री बदलाव और एक्सरसाइज के जरिए मैनेज किया जा सकता है.
कैसे अलग है टाइप 1.5 डाइबिटीज?
टाइप 1.5 डायबिटीज टाइप 1 और 2 से किस तरह अलग है? टाइप 1 डायबिटीज की तरह, टाइप 1.5 तब होता है जब इम्यून सिस्टम इंसुलिन बनाने वाले पैनक्रियाज़ सेल्स पर हमला करता है. लेकिन टाइप 1.5 वाले लोगों को अक्सर एकदम इंसुलिन की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि उनकी कंडीशन धीरे-धीरे डेवलप होती है. टाइप 1.5 डायबिटीज वाले ज़्यादातर लोगों को डाइग्नोज़ के पांच साल के अंदर इंसुलिन का इस्तेमाल करना होता है, जबकि टाइप 1 वाले लोगों को आमतौर पर डाइग्नोज़ से ही इसकी ज़रूरत होती है. आसान भाषा में समझें तब आपके इम्यून सिस्टम ने पैन्क्रियाज़ सेल्स पर अटैक किया, उसके पांच साल तक आपको इंसुलिन की जरूरत नहीं होती है.
कैसे होती है टाइप 1.5 डाइबिटीज
टाइप 1.5 डाइबिटीज़ का डाइग्नोज़ आमतौर पर 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में किया जाता है. ऐसा देखा गया है कि यह खराब लाइफस्टाइल मोटापे और गलत खान पान की वजह से होती है. आइये अब जानते हैं इसके लक्षण.
क्या होते हैं टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण
कुछ लोगों में इसके लक्षण दिखते हैं वहीं कुछ लोगों में इसके बिलकुल भी लक्षण नहीं दिखते हैं.
1- लगातार प्यास लगना
2- बार-बार पेशाब आना
3- थकान
4- आखों के सामने धुंधलापन
5- अचानक से वजन का कम होना
कैसे होता है टाइप 1.5 डाइबिटीज का इलाज?
आमतौर पर, टाइप 1.5 डाइबिटीज का इलाज शुरू में ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य सीमा में रखने के लिए ओरल मेडिसिन से किया जाता है. ऐसे लोगों को लगातार अपने शुगर लेवल पर नजर रखनी होती है. शुरुआत में इस तरह की डायबिटीज को टाइप-2 की तरह डाइग्नोज़ किया जाता था.