नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से कथित तौर पर धन लेकर उत्तर प्रदेश के मूक बधिर छात्रों और गरीब लोगों का इस्लाम में धर्मांतरण करने के इल्जाम में छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है. चार्जशीट में मोहम्मद उमर गौतम, सलाउद्दीन ज़ीनुद्दीन शेख और मुफ़्ती काज़ी जहाँगीर कासमी का नाम है, जो इस समय लखनऊ में न्यायिक हिरासत में हैं.


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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजिंदर सिंह के समक्ष दायर आरोपपत्र में संघीय एजेंसी ने तीन संगठनों - इस्लामिक दावा सेंटर, फातिमा चैरिटेबल फाउंडेशन और एएफएमआई चैरिटेबल ट्रस्ट को भी आरोपी बनाया है. 


ईडी के विशेष लोक अभियोजक एन के मट्टा द्वारा दायर आरोप पत्र में इल्जाम लगाया गया है कि आरोपी बड़े पैमाने पर दूसरे धर्म के लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करने में शामिल थे.  एजेंसी ने कहा कि लगभग 1000 गैर-मुस्लिमों का धर्मांतरण किया गया है और मुसलमानों से शादी की गई है. ईडी ने कहा कि इसके अलावा, आरोपी धर्मांतरण कराने के उद्देश्य से एक संगठन इस्लामिक दावा सेंटर (आईडीसी) चला रहे थे और इसे विदेशों सहित विभिन्न स्रोतों से बड़ी धनराशि मिल रही थी. 


आरोप में कहा गया है कि नोएडा के बधिर समाज के मूक बधिर स्कूल के छात्रों को अवैध रूप से गलत बयानी, प्रलोभन और धोखाधड़ी के माध्यम से  इस्लाम धर्म में परिवर्तित किया गया है. शिकायत के मुताबिक, आरोपी विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और गैर-मुस्लिमों को इस्लाम अपनाने के लिए प्रभावित करके भारत की संप्रभुता और अखंडता को बिगाड़ने में शामिल थे.


वहीँ, दूसरी जानिब, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक मुस्लिम संगठन द्वारा दायर याचिका पर  केंद्र और छह राज्यों से धर्मांतरण पर जवाब मांगा है. याचिका में अंतर-धार्मिक विवाह की वजह से धर्मांतरण को विनियमित करने वाले राज्यों के कानूनों को चुनौती देने वाले 21 मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की गई है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की बेंच ने वकील एमआर शमशाद के जरिए दायर जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर नोटिस जारी किया है और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. 


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