Education Day: आंखों में आंखें डालकर जिन्ना की टू नेशन थ्योरी का विरोध करते थे मौलाना आज़ाद
Maulana Abul Kalam Azad: देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आज़ाद की आज जन्मदिन है. इस मौके पर पूरा हिंदुस्तान National Education Day मनाता है. मौलाना आज़ाद भारत के उन नेताओं में शुमार किए जाते हैं जिन्होंने जिन्ना की टू नेशन थ्योरी को सिरे से खारिज किया था.
Maulana Abul Kalam Azad: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, देश के पहले शिक्षा मंत्री, पाकिस्तान बनने की सोच के खिलाफ खड़े होने वाले आज़ाद का जन्मदिन है. अफग़ान उलेमाओं के ख़ानदान से ताल्लुक वाले आज़ाद 11 नवंबर 1888 को पैदा हुए थे. उनकी जन्मदिन को "राष्ट्रीय शिक्षा दिवस" (National Education Day) के तौर पर मनाया जाता है. कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. उनकी मां अरबी मूल की थीं और उनके पिता मोहम्मद खैरुद्दीन एक फारसी थे. जब आज़ाद महज़ 11 साल के थे तब उनकी मां का देहांत हो गया.
मौलाना आज़ाद की शिक्षा
उनकी शुरुआती शिक्षा इस्लामी तौर तरीकों से हुई. घर पर या मस्ज़िद में उन्हें उनके पिता ने पढ़ाया. आज़ाद ने इस्लामी तालीम के अलावा उन्हें फिलॉसफी, इतिहास व गणित की शिक्षा दूसरे टीचर्स से मिली. आज़ाद ने उर्दू, फ़ारसी, हिन्दी, अरबी व अंग्रेज़ी भाषाओं में महारत हासिल की. कहा जाता है कि महज़ 16 वर्ष में उन्हें वो सभी एजुकेशन मिल गई थी जो आमतौर पर 25 साल में मिला करती थी. मौलाना आज़ाद इस्लामी शिक्षा में महारथ रखते हुए. उन्होंने क़ुरान के अन्य भावरूपों (फ़िक़रो) पर आर्टिकल्स भी लिखे.
देश को दी IIT और UGC
उन्होंने भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम काम किए हैं. उन्होंने फ्री एजुकेशन, बेहतर एजुकेशन संस्थानों की स्थापना अहम किरदार अदा किया. मौलाना आज़ाद को 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' (IIT) और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' (UGC) की स्थापना की थी.
पाकिस्तान बनने के खिलाफ थे आज़ाद
आज़ाद ने हिंदुस्तान की हिंदू मुस्लिम एकता के लिए बहुत काम किया है. वो महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर अमल करने वालों में से एक थे. यही वजह थी आजाद ने जिन्ना की टू नेशन थ्योरी का जमकर विरोध किया था. एक खबर के मुताबिक जिन्ना के विरोध में खड़ा होने वाला उस वक्त मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसा दूसरा कोई नहीं था.
मौलाना आजाद से जुड़ी कुछ और अहम बातें
1. 1923 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के प्रेसीडेंट बने.
2. आजादी के बाद वे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने.
3. कांग्रेस के उन अहम नेताओं की तरह उन्हें भी तीन साल जेल में बिताने पड़े थे.
4. आजाद ने अपने वक्त मुस्लिम नेताओं की भी आलोचना की. जो उनके मुताबिक देश के फायदे के सामने कम्युनल इंट्रेस्ट को तरजीह दे रहे थे.
5. 1905 में बंगाल के विभाजन और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के अलगाववादी नज़रिये को भी खारिज किया.
6. आज़ाद एक पत्रकार भी थे, कहा जाता है कि सियासत के प्रति उनके झुकाव ने उन्हें पत्रकार बना दिया
7. उन्होने 1912 में एक उर्दू पत्रिका 'अल हिलाल' का शुरू की.
8. आज़ादी के बाद पहली बार हुए चुनावों में वे यूपी की रामपुर संसदीय सीट से और 1957 के चुनावों में हरियाणा की गुड़गांव सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर एमपी चुने गए.
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद पर खास पर पेशकश