गिरिराज सिंह ने कहा, `जाति जनगणना में `घुसपैठियों` को बाहर रखा जाना चाहिए’’
CASTE CENSUS in Bihar: बिहार में प्रस्तावित जाति जनगणना पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बुधवार को कहा कि जनगणना में ‘बांग्लादेशियों’ और ‘रोहिंग्या’ जैसे ‘घुसपैठियों’ को ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ के तहत स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.
कटिहारः केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बुधवार को कहा कि बिहार में प्रस्तावित जाति आधारित जनगणना में ‘‘बांग्लादेशियों’’ और ‘‘रोहिंग्या’’ जैसे ‘‘घुसपैठियों’’ को ‘‘तुष्टिकरण की राजनीति’’ के तहत स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इन्हें उससे बाहर रखा जाना चाहिए. भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने के लिए उत्तर बिहार के इस शहर आए भाजपा नेता सिंह ने देश में धर्मांतरण रोधी मजबूत कानून की जरूरत बताते हुए कहा कि ‘‘अल्पसंख्यक’’ शब्द के इस्तेमाल को खत्म करने और विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा उत्पीड़न के प्रतीक सभी चिह्नों को मिटाने की जरुरत है, जैसे वाराणसी में ज्ञानवानी मस्जिद.
पिछड़े मुसलमानों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए
बिहार के बेगूसराय लोकसभा सीट से सांसद सिंह ने पत्रकारों के साथ ज्वलंत मुद्दों पर अपनी व्यक्तिगत राय पार्टी के कई सहयोगियों की मौजूदगी में साझा की. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में होने वाली सर्वदलीय बैठक से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह राज्य सरकार के इस कदम के पूर्ण समर्थन में हैं. उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का लाभ उठाने वाले मुसलमानों को भी इस कवायद के तहत शामिल किया जाना चाहिए.
11 जिलों में हैं अवैध प्रवासी
सिंह ने 1990 के दशक में दायर एक याचिका का हवाला देते हुए दावा किया कि बिहार के 11 जिलों में ‘अवैध प्रवासियों’ की आबादी उस समय लगभग चार लाख थी जिनका जिक्र तुष्टीकरण की राजनीति के कारण नहीं किया जाता है. सिंह ने उन ‘अवैध प्रवासियों’ को इस कवायद के तहत शामिल नहीं करने की जरूरत को रेखांकित किया जो उन्हें वैधता प्रदान कर सकती है. सिंह ने कहा, ‘‘चाहे वे बांग्लादेशी हों, रोहिंग्या या किसी अन्य प्रकार के अवैध निवासी हों, उन्हें इस अभ्यास से बाहर रखा जाना चाहिए.’’
मजबूत धर्मांतरण रोधी कानून की है आवश्यकता
कट्टर हिंदुत्व रुख के लिए जाने जाने वाले केंद्रीय मंत्री ने हिंदुओं के कथित धर्मांतरण के खिलाफ मजबूत धर्मांतरण रोधी कानून की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के आदर्श वाक्य के आलोक में अल्पसंख्यक शब्द को फिर से परिभाषित करने और यहां तक कि इस शब्द को खत्म करने की आवश्यकता है. सिंह ने कहा, ‘‘यहां तक कि (महमूद) मदनी ने भी कहा है कि वह अल्पसंख्यक समूह से संबंधित नहीं हैं, सभी समान विचारधारा वाले लोगों को ध्यान में रखते हुए मुसलमानों को खुद को बहुमत में मानना चाहिए.’’
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