Farmers Protest Again: दिल्ली में किसान संगठनों के जरिए एक बार फिर विरोध प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है. समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि उनके मेंबर सोमवार, 2 दिसंबर को देश की राजधानी की तरफ अपना मार्च शुरू करेंगे.


दिल्ली क्यों आ रहे हैं किसान?


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भारतीय किसान परिषद (बीकेपी) के नेता सुखबीर खलीफा ने रविवार को कहा कि मेंबर नए किसान कानूनों के तहत उचित मुआवजे और बेहतर लाभ की मांग को लेकर सोमवार को दिल्ली की ओर अपना मार्च शुरू करेंगे. खलीफा ने कहा,"हम दिल्ली की ओर मार्च के लिए तैयार हैं. 2 दिसंबर को, हम नोएडा में महा माया फ्लाईओवर के नीचे से अपना मार्च शुरू करेंगे. दोपहर तक, हम वहां पहुंच जाएंगे और नए कानूनों के अनुसार अपने मुआवज़े और लाभ की मांग करेंगे."


बीकेपी का मार्च किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम, गैर-राजनीतिक) के जरिए किए जा रहे इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों के अतिरिक्त है, जिनके सदस्य 6 दिसंबर से दिल्ली की ओर मार्च करना शुरू करेंगे. केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु के किसान संगठन भी उसी दिन संबंधित विधानसभाओं की ओर प्रतीकात्मक मार्च निकालेंगे.


किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि शंभू बॉर्डर (पंजाब-हरियाणा सीमा) पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान 6 दिसंबर को दूसरे किसानों के साथ शामिल होंगे. ये किसान 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं.


किसानों के पहले जत्थे का नेतृत्व किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सुरिंदर सिंह चौटाला, सुरजीत सिंह फूल और बलजिंदर सिंह करेंगे. यह जत्था सभी जरूरी सामान लेकर दिल्ली की ओर शांतिपूर्वक मार्च करेगा. किसान रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चलेंगे और रातें सड़क पर ही गुजारेंगे. जत्था अंबाला के जग्गी सिटी सेंटर, मोहरा अनाज मंडी, खानपुर जट्टान और हरियाणा के पिपली में रुकेगा.


क्या है किसानों की मांगे?


कानूनी तौर से गारंटीकृत मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) के अलावा, प्रदर्शनकारी किसान कृषि कर्ज की माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय", भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.