Farmers Protest: कृषि कानूनों को लेकर हुए किसानों का आंदोलन तो सबको याद होगा. यह आंदोलन देश के कई हिस्सों में देखने को मिला था. जिसके बाद किसान एक बार फिर आंदोलन करने का प्लान बना रहे हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दो साल पूरे होने पर शनिवार को किसान संघ देश भर के राजभवनों तक मार्च निकालेगी. इन तीनों कानूनों को निरस्त कर दिया गया है, लेकिन अब किसान नेताओं का आरोप है कि सरकार का उनके वादों को पूरा करने का कोई इरादा नहीं है, और अब एक बड़े आंदोलन की जरूरत है.


क्या है किसानों की मांग


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किसान नेताओं का दावा है कि सरकार ने उन्हें लिखित में आश्वासन दिया था कि वह फसलों के लिए एमएसपी कानून लाएगी. लेकिन अब तक इस मसले को लेकर कुछ नहीं किया गया. आपको बता दें किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर तीन कानूनों को रद्द करने के लिए एक साल तक प्रटेस्ट किया था. इस प्रदर्शन में ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान शामिल थे.


इस आंदोलन ने सरकार की नाक में दम कर दिया था और पिछले साल नवंबर के महीने में पीएम मोदी ने देश को खिताब करते हुए तीनों कानूनों को निरस्त करने का ऐलान कर दिया था. जिसके बाद किसान अपने-अपने घर लौट गए थे. इस आंदोलन के दौरान कई किसानों की मौत भी हुई थी.


संयुक्त किसान मोर्चा नेता ने कही ये बात


संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता हन्नान मोल्ला ने शुक्रवार को फोन न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया- उन्होंने हमे लिखित में आश्वासन दिया था, और हमारी कई मांगों पर सहमति जताई थी. लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया.  विरोध मार्च में हिस्सा लेने के लिए लखनऊ आए मोल्ला ने कहा सरकार ने साबित किया है कि वह धोखेबाज है. उसने देश के किसानों को धोखा दिया है.


सत्यपाल मलिक ने पहले ही किया था आघा


मेघालय के पूर्व गवर्नर हाल ही में जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ (RUSU) के एक प्रोग्राम में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि देश में कई स्तर पर लड़ाई शुरू होने वाली है. किसान एक बार फिर आंदोलन करेंगे और देश के नौजवान अपने हक को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि 'इंदिरा गांधी भी अपने वक्त में खुद को सबसे ताकतवर समझती थीं. लेकिन उनकी भी सत्ता चली गई, ऐसे ही पीएम मोदी भी चले जाएंगे.


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