K Natwar Singh Dies: पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का निधन, 95 साल की उम्र ली आखिरी सांस
K Natwar Singh News:तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-I सरकार में 2004-05 तक भारत के विदेश मंत्री रहे के नटवर सिंह का शनिवार रात को निधन हो गया. उन्होंने 95 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली. वे कांग्रेस के टिकट पर राजस्थान के भरतपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े और लोकसभा सांसद बने थे.
K Natwar Singh Dies: पूर्व विदेश मंत्री व कांग्रेस के नेता के नटवर सिंह का शनिवार रात लंबी बीमारी के बाद इंतकाल हो गया. पूर्व मंत्री सिंह ने 93 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली. यहां उनका पिछले दो हफ्तों से इलाज चल रहा था.यह जानकारी उनके परिवारिक सूत्रों ने दी.
पूर्व कांग्रेस सांसद सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-I सरकार के दौरान 2004-05 की अवधि के लिए भारत के विदेश मंत्री बने थे. के नटवर सिंह 1953 में भारतीय विदेश सेवा के लिए चुने गए थे, लेकिन उन्होंने 1984 में इससे इस्तीफा दे दिया. फिर वो कांग्रेस के टिकट पर राजस्थान के भरतपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े और लोकसभा सांसद बने.
कुछ ही वक्त में सियासत में उनकी पहचान एक तेज तर्रार नेता के रूप में होने लगी, जिसका उन्हें फायदा भी हुआ. कांग्रेस ने उन्हें 1985 में बड़ी जिम्मेदारी दी और केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलाई. उन्हें इस्पात, कोयला और खान तथा कृषि विभाग आवंटित हुई. इसके बाद वे 1986 में विदेश मामलों के राज्य मंत्री बने.
नटवर सिंह ने कई अहम जिम्मेदारियां संभाली
वहीं, सिंह को 1987 में न्यूयॉर्क में आयोजित निरस्त्रीकरण और डेवलेपमेंट पर यूनाइटेड नेशन्स कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष चुना गया था. इसके अलावा उन्होंने यूनाइटेड नेशन्स जोनरल असेंबली के 42वें सेशन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया था.
पूर्व सांसद ने विदेशी मामलों पर लिखीं कई किताबें
1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में जन्मे सिंह एक अनुभवी राजनयिक थे.वे पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में भी काम किया था. सिंह अपने सियासी करियर में कूटनीति का भरपूर अनुभव लेकर आए. कांग्रेस नेता ने विदेशी मामलों की बारीकियों के कई विषयों पर कई किताबें लिखीं. जिसमें 'द लिगेसी ऑफ नेहरू', 'ए मेमोरियल ट्रिब्यूट', 'टेल्स फ्रॉम मॉडर्न इंडिया', 'ट्रेजर्ड एपिस्टल्स' और आत्मकथा 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' समेत 'माई चाइना डायरी 1956-88' शामिल हैं. राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए सरकार ने उन्हें 1984 में पद्म भूषण से सम्मानित किया.