Lok Sabha Chunav: 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 2014 के चुनाव तक इतने उम्मीदवारों की जमानत हो चुकी है जब्त
71K Candidate Lost Security Deposit: भारत में 1951 में हुए पहले लोकसभा इलेक्शन से लेकर पिछ्ले आम चुनाव तक 71 हजार से ज्यादा उम्मीदवार कुल पड़े वोटों का कम से कम छठा हिस्सा भी हासिल नहीं करने की वजह से अपनी ज़मानत जब्त करवा चुके हैं.
Lok Sabha Election Candidates Security Deposits Confiscated: भारत में 1951 में हुए पहले लोकसभा इलेक्शन से लेकर पिछ्ले आम चुनाव तक 71 हजार से ज्यादा उम्मीदवार कुल पड़े वोटों का कम से कम छठा हिस्सा भी हासिल नहीं करने की वजह से अपनी ज़मानत जब्त करवा चुके हैं. इलेक्शन कमीशन के आंकड़ों के विश्लेषण से यह जानकारी मिली है. साल 2019 के लोकसभा इलेक्शन में 86 फीसद उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हो गई थी. इलेक्शन कमीशन के नियमों के तहत, जो उम्मीदवार कुल पड़े वैलिट वोटों का छठा हिस्सा हासिल करने में नाकाम रहते हैं, उनकी जमानत की रकम को जब्त करके सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाता है.
पहले लोकसभा इलेक्शन से लेकर 2019 के आम इलेक्शन तक 91 हजार 160 उम्मीदवारों ने चुनाव में अपनी किस्मत आजामाई थी. जिनमें से 71 हजार 246 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. यह आंकड़ा कुल उम्मीदवारों का 75 फीसद है. साल 1951 में जमानत राशि जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए 500 रुपये और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एससी) उम्मीदवारों के लिए 250 रुपये थी जो जनरल कैटेगरी और SC/ST वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अब बढ़कर क्रमश: 25 हजार और 12 हजार 500 रुपये हो गई है।. सियासी माहेरीन का मानना है कि जमानत बचा लेना उम्मीदवारों के लिए फख्र की बात होती है, जबकि जमानत जब्त होने को अक्सर बेइज्जती माना जाता है.
साल 2019 के लोकसभा इलेक्शन में सबसे ज्यादा BSP के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी. बहुजन समाज पार्टी ने 383 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 345 की ज़मानत जब्त हो गई थी. कांग्रेस ने 421 सीटों पर इलेक्शन लड़ा था और 148 सीट पर उसके उम्मीदवार अपनी जमानत से हाथ धो बैठे थे. ऑफिशियल रिकॉर्ड के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी के 51 उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हुई थी, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के 49 में से 41 उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हुई थी.
साल 1951-52 में हुए पहले लोकसभा इलेक्शन लड़ने वाले तकरीबन 40 फीसद उम्मीदवार अपनी ज़मानत की रकम बचाने मे नाकाम हुए थे. वह इलेक्शन 1 हजार 874 उम्मीदवारों ने लड़ा था जिनमें से 745 की ज़मानत जब्त हो गई थी,. इसके बाद हुए लोकसभा इलेक्शन में ज़मानत जब्त कराने वाले उम्मीदवारों की तादाद में इज़ाफा देखने को मिला. 11वीं लोकसभा के लिए 1996 में हुए इलेक्शन में किस्मत आज़माने वाले 91 फीसद यानी 13,952 में से 12,688 उम्मीदवार अपनी ज़मानत गंवा बैठे थे. साल 1991-92 के लोकसभा इलेक्शन में 8 हजार 749 में से 7 हजार 539 उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हो गई थी जो 86 फीसद थी.