Adani Case:अमेरिका ने आखिर क्यों लगाया अरबपति कारोबारी अडानी की तरक्की पर ब्रेक ?
Gautam Adani Bribery Case Explained: गौतम अडानी का रिश्वत मामले में फंस गए हैं. इसके बाद काफी लोगों के मन में सवाल है कि आखिर यह केस क्या है. आइये जानते हैं पूरी डिटेल
Gautam Adani Bribery Case Explained: भारतीय अरबपति गौतम अडानी को लेकर काफी विवाद छिड़ा हुआ है. दरअसल, गौतम अडानी पर अमेरिकी प्रोसीक्यूटर्स ने रिश्वत देने का इल्जाम लगाया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने पहले से लिस्टिड कंपनी के अफसरों के साथ मिलकर हिंदुस्तान के अफसरों को मोटी रिश्वत दी ताकि उनके रिनवेबल एनर्जी के कारोबार को अमेरिका में बढ़ावा मिल सके. गौतम अडानी पर इल्जाम है कि उन्होंने 265 मिलियन डॉलर रिश्वत अधिकारियों को देने का प्लान बनाया था.
अडानी ग्रुप ने क्या कहा?
हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन इल्जामात को सिरे से नकारा है. वहीं भारत सरकार का इस मामले में कोई बयान नहीं आया है. लीडर ऑफ अपोज़ीशन राहुल गांधी ने इस मसले को लेकर बीजेपी सराकर पर हमला बोला है. आखिर क्या है गौतम अडानी रिश्वत मामला, आसान भाषा में समझते हैं.
क्या हैं गौतम अडानी पर आरोप?
यूएस प्रोसीक्यूटर्स ने गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी, जोकि अडानी ग्रीन के डायरेक्टर हैं और 6 दूसरे लोगों पर हिंदुस्तान में रिनवेबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स से जुड़े मामले में धोखाधड़ी करने का इल्जाम लगाया है. आरोप है कि इस फ्रॉड से अडानी की कंपनी एज़्योर पावर को फायदा हुआ. इस कंपनी को 2023 के आखिर में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट कराया गया था.
अभियोग में हुआ था खुलासा
बुधवार को इस मामले में अभियोग जारी किया गया, जिससे पता लगता है कि 2020 में अडानी ग्रीन और एज़्योर के अफसरों ने जानबूझकर और खुद की मरज़ी से यह साज़िश रची थी. इसके साथ ही बिजनेस में फायदा पाने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को भ्रष्ट तरीके से रिश्वत देने का काम किया गया था. ताकि, उन्होंने बिजनेस में कई तरह के फायदे मिल सकें.
किसको दिया पैसा?
2019 और 2020 के बीच, अडानी ग्रीन और एज़्योर को भारत सरकार की मालिकाना हक वाली कंपनी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (SECI) के जरिए टेंडर्स दिए गए. इस प्रोजेक्ट्स में कई इंडियन स्टेट्स में सोलर प्लांट्स लगाने का ठेका शामिल था. अमेरिकी अधिकारियों ने इलज़ाम लगाया कि अडानी और दूसरे लोगों ने मिलकर SECI के साथ समझौते करने के लिए भारतीय राज्य सरकार के अफसरों को रिश्वत दी, जिससे अडानी की कंपनियों को काफी फायदा हुआ.
अडानी पर दूसरा इल्ज़ाम
अडानी और उनके अफसरों पर यह भी आरोप लगा है कि उन्होंने अमेरिकी इनवेस्टर्स और कर्ज देने वालों से पैसा इकट्ठा करने के दौरान कंपनी ने कई तरह के झूठ बोले और उन्हें गुमराह करने वाले बयान दिए. 2021 और 2024 के बीच, अडानी ने कर्ज और बांड के जरिए 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा पैसे जुटाए, जिसमें युनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के इनवेस्टर्स से मिले पैसे भी शामिल थे.
जांच के बारे में थी जानकारी फिर भी बोला झूठ
यूएस सिक्योरिटीज़ और एक्सचेंज ने अपने बयान में कहा,"गौतम और सागर अडानी सितंबर 2021 में अडानी ग्रीन के जरिए की गई नोट पेशकश के दौरान रिश्वतखोरी की स्कीम में शामिल थे, जिसमें 750 मिलियन डॉलर जुटाए गए थे, जिसमें अमेरिकी इनवेस्टर्स से लगभग 175 मिलियन डॉलर शामिल थे. अडानी ग्रीन के जरिए पेश किए गए मटीरियर में उसके भ्रष्टाचार-विरोधी और रिश्वत-विरोधी कोशिशों के बारे में ऐसे बयान शामिल थे जो झूठे या गुमराह करने वाले थे."
प्रोसीक्यूटर्स ने आरोप लगाया कि अडानी ने इस साल की शुरुआत में जनता, भारतीय स्टॉक एक्सचेंज और इनवेस्टर्स को गुमराह करने वाले बयान दिए, जबकि उन्हें 2023 में अमेरिकी जांच के बारे में जानकारी थी.
मोबाइल का इस्तेमाल किया जा रहा था
अमेरिकी अधिकारियों ने इलज़ाम लगाया कि अडानी ग्रीन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी भारतीय अधिकारियों को रिश्वत को ट्रैक करने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते थे. अमेरिकी अधिकारियों ने अपनी अभियोग में इस प्रोजेक्ट का नाम "द करप्ट सोलर प्रोजेक्ट" का नाम दिया है.
कैसे हुआ इस मामले का खुलासा?
मार्च 2023 में, FBI के स्पेशल एजेंट्स ने सागर अडानी से राबता किया. इस दौरान एजेंट्स के पास दूसरी संस्थाओं के खिलाफ चल रही ग्रैंड जूरी की जांच की डिटेल थी. उन्होंने सागर के पास मौजूद इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को अपने कब्जे में ले लिया. इस सर्च वारंट में इस बात का खुलासा हुआ और उन लोगों के नाम भी सामने निकल कर आए जो पूरे केस में मुलव्विस थे.
अडानी पर क्या पड़ा असर
मामला सामने आने के बाद अडानी के शेयर में 20 फीसद गिरावट देखने को मिली थी. इसके साथ ही केन्या ने भारत के अदाणी ग्रुप के साथ करोड़ों डॉलर के एयरपोर्ट्स एक्सटेंशन और एनर्जी प्रोजेक्ट्स को रद्द कर दिया है. केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने 21 नवंबर को यह ऐलान किया है. रूटो ने कहा कि एशिया के सबसे अमीर लोगों में से एक गौतम अडानी के खिलाफ अमेरिका के जरिए रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के इल्जाम लगाए जाने के बाद अडानी के साथ इन सौदों को रद्द करने का फैसला किया गया है. इस केस के बाद अडानी दुनिया और एशियाओं की टॉप अमीरों की लिस्ट से बाहर हो गए हैं. उन्हें इससे 700 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है.
अपोजीशन का क्या है कहना?
इस मामले को लेकर अपोजीशन लीडर राहुल गांधी का बयान आया है. उन्होंने बीजेपी पर हमला बोला है और कहा है कि अडानी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा क्योंकि उनके पीछे मोदी जी का हाथ है. राहुल गांधी ने कहा, "अमेरिकी जांच में उन्हें 2,000 करोड़ रुपये के घोटाले में दोषी पाया गया है. उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए. अडानी को बचाने वाली माधबी बुच (सेबी अध्यक्ष) को भी हटाया जाना चाहिए."
राहुल गांधी ने कहा,"मुख्यमंत्रियों को गिरफ़्तार किया गया है. झारखंड के मुख्यमंत्री को गिरफ़्तार किया गया. श्री अडानी ने जाहिर तौर पर 2,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया है और उम्मीद है कि कई अन्य घोटाले भी किए हैं, लेकिन वे बेख़ौफ़ हैं."
संबित पात्र ने बोला राहुल गांधी पर हमला
बीजेपी ने कहा कि जिन राज्यों ने सौर ऊर्जा सौदों के लिए अडानी ग्रुप से कथित तौर पर रिश्वत ली, वहां विपक्ष की हुकूमत थी. गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को खिताब करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी पर प्रधानमंत्री की छवि खराब करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. पात्रा ने कहा, "अडानी ग्रुप के खिलाफ अमेरिकी आरोपों में जिन चार राज्यों का जिक्र किया गया है, उनमें से किसी में भी भाजपा का मुख्यमंत्री नहीं है. छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में कांग्रेस और उसके सहयोगी सत्ता में हैं."
अब क्या करेंगे अडानी?
अडानी ग्रुप ने एक बयान में कहा कि वह "सभी मुमकिन कानूनी हल" अपनाएगा. जानकारों का मानना है कि इस बात के इमकानात हैं कि मामला भारतीय उद्योगपति और अमेरिकी अधिकारियों के बीच सुलझ सकता है, और अरबपति अभियोग को खारिज करने की भी मांग कर सकते हैं.