मध्य प्रदेश में 12 साल के बच्चे को सरकार ने भेजा 2.9 लाख रुपए की वसूली का नोटिस !
मध्य प्रदेश के खरगौन में पिछले साल रामनवमी पर हुए दंगों और तोड़फोड़ के मामले में पुलिस ने बच्चे को आरोपी बनाया था. इस मामले में एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा है कि मुसलमानों से इतनी नफरत कि अब बच्चों से वसूली करेंगे?
भोपालः मध्य प्रदेश में एक ट्रिब्यूनल द्वारा 12 वर्षीय लड़के को जारी किए गए दो लाख 90 हजार रुपए की वसूली के नोटिस पर बहस छिड़ गई है. यह बच्चा पिछले साल रामनवमी पर हुए दंगों का आरोपी है. बच्चे को वसूली नोटिस अगस्त में एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर जारी किया गया था, जिसने 10 अप्रैल को रामनवमी समारोह के दौरान भीड़ द्वारा भगदड़ मचाने पर पूर्व में उसके घर को नुकसान पहुंचाने का इल्जाम लगाया था. इस नोटिस पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा है कि मुसलमानों से इतनी नफरत कि अब बच्चों से वसूली करेंगे?
ट्रिब्यूनल ने खारिज की लड़के की अपील
लड़के के परिवार ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ के समक्ष एक अपील दायर कर नोटिस को रद्द करने की मांग की थी. लेकिन 12 सितंबर को अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम और वसूली कानून के तहत गठित न्यायाधिकरण में इसकी आपत्ति दर्ज कराई जानी चाहिए. आदेश में कहा गया है, “अगर कोई आपत्ति दर्ज की जाती है, तो उस पर विचार किया जाएगा और न्यायाधिकरण द्वारा कानून के मुताबिक फैसला लिया जाएगा.“
नाबालिग लड़के को भेजे गए नोटिस में साफ तौर से लिखा गया है कि वह 12 साल का है, और उसे 2.9 लाख रुपये के नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. लड़के के अलावा, लड़के के पिता सहित सात दूसरे लोगों को भी इसी तरह के नोटिस जारी किए गए थे.
आरोपी के वकील ने कानून पर उठाए सवाल
नबालिग के वकील अशर अली वारसी ने दावा किया है कि न्यायाधिकरण ने कानून की अनिवार्यता को लागू किए बिना मनमाने ढंग से काम किया था. वारसी ने कहा, ’’कानून की परिभाषा की स्पष्ट व्याख्या है कि पूरा अधिनियम भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) पर आधारित आपराधिक स्थिति पर निर्भर करता है, और जब लड़के ने ट्रिब्यूनल के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई, तो इसे नागरिक प्रक्रिया के अस्पष्ट आधार पर खारिज कर दिया गया.“
वारसी ने सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम और वसूली कानून पर सवाल उठाया है, जिसमें कहा गया था कि इसकी स्पष्ट परिभाषा नहीं है कि यह नागरिक कानून या आपराधिक कानून के तहत शासित होगा या नहीं?
ट्रिब्यूनल के समक्ष 343 वसूली शिकायतें दर्ज की गईं है
रिपोर्टों के मुताबिक, खरगोन में सांप्रदायिक हिंसा के बाद ट्रिब्यूनल के समक्ष 343 वसूली शिकायतें दर्ज की गईं है, जिनमें से सिर्फ 34 को स्वीकार किया गया है. अब तक, इसने छह दावों का निपटारा किया है, जिसमें चार हिंदुओं के और दो मुसलमानों के दावे शामिल हैं. अब तक 50 लोगों से करीब 7.46 लाख रुपए वसूली के तौर पर बरामद किए जा चुके हैं.
उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश में बना था ऐसा कानून
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम और वसूली कानून पिछले साल दिसंबर में एक दूसरे भाजपा शासित राज्य, उत्तर प्रदेश की नकल करते हुए सरकार ने विधानसभा में पास किया था. कानून हड़ताल, विरोध या समूह संघर्ष के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को जानबूझकर नुकसान के लिए मुआवजे की वसूली का प्रावधान करता है.
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