Gujrat Riot: गुजरात के नरोदा गांव  दंगों मामले के ने स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, और इस मामले में 68 आरोपियों को बरी कर दिया है. आपको बता दें 2002 में हुए इन दंगों में 11 लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में जांच की और बीजेपी नेता माया कोडनानी और बजरंगदल नेता बाबू बजरंगी समेत 86 लोगों को खिलाफ मामला दर्ज किया था. इन 86 आरोपियों में से 18 की पहले मौत हो गई थी. कोर्ट ने 21 साल बाद अब फैसला सुनाया है.


क्या है पूरा मामला?


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आपको जानकारी के लिए बता दें 2002 में गोधरा में ट्रेन को आग लगा दी गई. जिसमें 58 लोगों की मौत हुई. इसके विरोध में लोगों ने बंद का ऐलान किया. लेकिन इस दौरान नरोदा गाम में संप्रदायिक हिंसा फैल गई. जिसमें 11 लोगों की जान गई. इस हादसे के बाद पूरे गुजरात में दंगे हुए. एसआईटी की जांच बैठी और इस मामले में माया कोडनानी को आरोपी बनाया गया. माया कोडनानी गुजरात की पूर्व मंत्री रही हैं.


इससे पहले नरोदा को विशेष अदालत ने 28 साल की सजा सुनाई थी. हालांकि हाई कोर्ट ने कोडनानी को बाद में बरी कर दिया था. इस दौरान अमित शाह के बयान ने केस का काफी रुख बदल दिया था. उन्होंने कहा था कि वह सुबह 28 फरवरी को 7:15 मिनट पर विधान सभा से निकले. सदन की कार्रवाई 8:30 बजे शुरू होनी थी. उन्होंने माया कोडनानी को सुबह 8:40 पर गुजरात विधानसभा में देखा था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि मैं इस बारे में नहीं जानता कि विधानसभा से रवाना होने और सोला सिविल हॉस्पिटल पहुंचने से पहले वह कहां थीं.


क्या हुआ था उस रोज?


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड के बाद गुजरात में ऐलान हुआ. इसके बाद काफी वक्त तक शांति रही लेकिन कुछ देर बाद भीड़ नरोदा इलाके में दुकाने बंद कराने लगी. जिसके बाद इस भीड़ ने हिंसा का रूप ले लिया. पत्थर फेके जाने लगे. कुछ देर बाद नरोदा में इतनी तोड़ो फोड़ हो चुकी थी कि पूरा हुलिया बदल गया. इस हादसे में 11 लोगों की मौत हुई.