Gulzar Hindi Shayari: हिंदी में पढ़ें गुलज़ार के बेहतरीन शेर
Gulzar Hindi Shayari: बंटवारे के बाद ग़ुलज़ार (Gulzar) का परिवार अमृतसर (पंजाब, भारत) आकर बस गया, वहीं गुलज़ार साहब मुंबई चले गये. यहां उन्होंने खाली वक्त में कविताएं लिखा.
Gulzar Hindi Shayari: ग़ुलज़ार (Gulzar) शायर, पटकथा लेखक और हिन्दी फिल्मों के मशहूर गीतकार हैं. उनका असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है. वह गुलज़ार नाम से मशहूर हैं. ग़ुलज़ार फ़िल्म निर्देशक भी हैं. उनकी रचनाएँ हिन्दी, उर्दू और पंजाबी में हैं. ब्रज भाषा, खड़ी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी हैं. गुलज़ार को साल 2002 में सहित्य अकादमी पुरस्कार और साल 2004 में भारत सरकार की तरफ से पद्म भूषण से भी नवाजा गया. वर्ष 2009 में उन्हें ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है.
आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
आप के बा'द हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
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अपने साए से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
जब दोस्ती होती है तो दोस्ती होती है
और दोस्ती में कोई एहसान नहीं होता
आग में क्या क्या जला है शब भर
कितनी ख़ुश-रंग दिखाई दी है
काँच के पार तिरे हाथ नज़र आते हैं
काश ख़ुशबू की तरह रंग हिना का होता
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता
भरे हैं रात के रेज़े कुछ ऐसे आँखों में
उजाला हो तो हम आँखें झपकते रहते हैं
ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी
उन की बात सुनी भी हम ने अपनी बात सुनाई भी
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