भ्रष्टाचार का केंद्र बन गई है, हज समिति; ओवैसी ने लोकसभा में सरकार से की ये मांग
Asaduddin Owaisi in Loksabha: हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को लोकसभा की बैठक में वित्त मंत्री के बजट भाषण पर तनकीद करते हुए कहा कि वित्त मंत्री ने चार समुदायों का ज़िक्र किया लेकिन इस मुल्क के 17 करोड़ मुसलमानों का उन्होंने कोई ज़िक्र नहीं किया. अगर सरकार देश के 17 करोड़ मुसलमानों से नफरत करती है, तो ऐसे में विकसित भारत कैसे बना पाएगा.
Asaduddin Owaisi in Loksabha: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सद्र और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को लोकसभा की बैठक में मुस्लिम समुदाय के साथ सरकार के सुलूक पर नाराजगी जाहिर किया. साथ ही उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में मुसलमानों पर ध्यान न देने का भी इलज़ाम लगाया है. केंद्रीय बजट पर लोकसभा में चर्चा . के दौरान, ओवैसी ने समावेश और समानता के लिए सरकार के नज़रिए की आलोचना की और मुसलमानों के साथ 'अछूत' जैसा सुलूक करने का इलज़ाम लगाया.
बजट भाषण के दौरान, ओवैसी ने कहा कि वित्त मंत्री ने चार समुदायों का ज़िक्र किया, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि क्या इस मुल्क के 17 करोड़ मुसलमानों में कोई गरीब, युवा, किसान या महिला नहीं है?" ओवैसी ने कहा, "आप खड़े होकर हमें खोखले वादे देते हैं. अगर आप 17 करोड़ मुसलमानों से नफरत करते हैं, तो आप विकसित भारत कैसे बना पाएंगे?" सांसद ने दावा किया कि हज समिति "भ्रष्टाचार का केंद्र" बन गई है, और उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की.
ओवैसी ने कहा, "इस देश में मुसलमान सबसे गरीब हैं, इसके बावजूद मुस्लिम महिलाओं को सबसे ज्यादा वंचित किया जा रहा है. " अपने दावों की हिमायत में डेटा दिखाते हुए, ओवैसी ने कहा कि 15 से 24 साल की उम्र के सिर्फ 29 फीसदी मुसलमानों की शिक्षा तक पहुँच है, जबकि अनुसूचित जातियों में 44 फीसदी, हिंदू ओबीसी में 51 फीसदी और हिंदू उच्च जातियों में 59 फीसदी लोगों को शिक्षा तक पहुँच है.
ओवैसी ने कहा, "2018-19 से 2022-23 तक श्रम बल सर्वेक्षण के डाटा का हवाला देते हुए कहा, "उच्च शिक्षा में, मुस्लिम नामांकन सिर्फ 5 फीसदी है." ओवैसी ने मुसलमानों के 'आर्थिक संघर्षों' पर भी रौशनी डाली. ओवैसी ने कहा कि 58.4 फीसदी मुसलमान स्वरोजगार करते हैं, जबकि समुदाय का नियमित वेतन वाले रोजगार में सबसे कम 15 प्रतिशत प्रतिनिधित्व है. आकस्मिक श्रम में सबसे ज़यादा 26 फीसदी भागीदारी है."
ओवैसी ने जोर देकर कहा, "मुस्लिम नौजवानों को नौकरी या शिक्षा के मौके नहीं मिल रहे हैं. सरकार मुसलमानों को अछूत मानती है, उन्हें राजनीतिक प्रतिनिधित्व और मुल्क की तरक्की में हिस्सेदारी से वंचित करती है."
ओवैसी ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के बजट को 5,000 करोड़ रुपये से कम कर 3,000 करोड़ रुपये करने के लिए सरकार की मज़म्मत की है. उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में मंत्रालय के लिए मामूली वृद्धि सरकार की बदनीयती और झूठी प्रतिबद्धताओं का संकेत है. अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में 2007-08 से कोई इजाफा नहीं हुआ है.