Kumbh Mela: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जल्द ही कुंभ मेला शुरू होने वाला है. मेले को लेकर सियासत गर्म है. अखिल भारतीय संत समिति ने हिंदू समुदाय की 'सुरक्षा' और आगामी कुंभ मेले की 'पवित्रता' के प्रति चिंता का हवाला देते हुए ऐलान किया कि मेले में किसी भी तरीके से 'थूक लगाने की नीति अपनाने वाले गिरोह' का कोई भी समान बिकना नहीं चाहिए. अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, 'किसी भी परिस्थिति में हम इस मुद्दे पर समझौता नहीं करेंगे.' 


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नहीं लगेंगी मुस्लिमों की दुकानें
उन्होंने कुंभ में मुस्लिम विक्रेताओं को दुकानें लगाने की इजाजत देने के लिए कुछ धर्मनिरपेक्ष नेताओं की हालिया मांग को लेकर कहा, "कुंभ दुनिया में स्वच्छता का सबसे बड़ा और सबसे प्राचीनतम व्यवस्था है. कुंभ के दौरान भयानक ठंड में कल्पवासी दोनों समय स्नान करते हैं, ऐसे में हम थूक लगाने की नीति अपनाने वाले गिरोह पर कैसे भरोसा कर सकते हैं." जितेन्द्रानंद ने कहा कि 12 सालों में आने वाले हमारे पवित्र त्योहार कुंभ में रोजी रोटी और पेट पालने के नाम पर हम हिंदुओं के सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते.


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हलाल चीजों ने बिकें
उन्होंने कहा, "समिति का मानना है कि कुंभ परिक्षेत्र तो दूर की बात है, कुंभ के 50 किलोमीटर के दायरे में किसी भी नए व्यक्ति को दुकान लगाने और समान बेचने की इजाजत नहीं होनी चाहिए." उन्होंने यह भी कहा कि हम किसी भी ‘हलाल सर्टिफाइड’ हिन्दू अथवा मुस्लिम व्यापारी को कतई स्वीकार नहीं करेंगे. समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि वह कुंभ की व्यवस्था वैदिक परंपराओं के अनुरूप सुनिश्चित करे. उन्होंने कहा, "हमें कुंभ मेले में वैदिक परंपराओं के अनुरूप व्यवस्था चाहिए. मेले में किसी भी तरीके से थूक लगाने की नीति अपनाने वाले गिरोह का कोई भी समान बिकना नहीं चाहिए. यह हिन्दू समाज के सुरक्षा और मेले की पवित्रता का सवाल है. हम इस पर कोई समझौता नहीं कर सकते."


मुस्लिमों के समर्थन में मौलाना
आपको बता दें कि हाल ही में महाकुंभ के संबंध में अखाड़ा परिषद ने महाकुंभ मेले में किसी भी मुसलमान के व्यापार करने पर रोक लगाई गई है. खबरों के मुताबिक कुंभ मेले में कोई भी मुस्लिम व्यापारी दुकान नहीं लगा सकता है. इस पर आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि "मैं चाहता हूं कि कुंभ का माहौल शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो. उन्होंने कहा कि "अखाड़ा परिषद का फैसला हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों को गहरी चिंता में डालने वाला है. यह एक ऐसा कदम है, जो न केवल धार्मिक सहिष्णुता को कमजोर करता है, बल्कि समाज में विभाजन का कारण भी बन सकता है."